हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 233 जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिशें ही नहीं की, नतीजा?

नई दिल्ली. देश के उच्च-न्यायालयों के कॉलेजिमय (जजों की नियुक्ति, तबादले आदि की सिफारिशें करने वाला निकाय) ने जजों के 233 पदों पर नियुक्ति के किसी नाम की सिफारिश ही नहीं की. इससे सरकार खाली पदों को भर नहीं पा रही है. केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने संसद (Parliament) में यह जानकारी दी है. रिजिजू ने एक सवाल के जवाब में बताया कि कुछ समय पहले 171 खाली पदों को भरने के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम (High Court Collegiums) ने नामों की सिफारिशें की थीं. ये सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) और केंद्र सरकार के विभिन्न स्तरों पर प्रक्रिया में हैं.
हालांकि हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा 233 रिक्त पदों पर नामों की सिफारिशें न किए जाने से देश के 25 उच्च न्यायालयों में जजों के 400 से अधिक खाली पड़े हैं. कई सालों से उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों की यही स्थिति बनी हुई है. गौरतलब है कि इसी मंगलवार और गुरुवार को केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालयों में 19 नए जजों की नियुक्ति को मंजूरी दी है. इनमें 10 जज तो सिर्फ तेलंगाना हाईकोर्ट (Telangana High Court) के लिए हैं. वहां जजों के 42 पद स्वीकृत हैं. इनमें से 23 खाली थे. अन्य उच्च न्यायालयों में भी यही स्थिति है. जैसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के 67 पद खाली हैं. इसी तरह 2 मार्च तक पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में 36, बॉम्बे हाईकोर्ट में 35 और कलकत्ता हाईकोर्ट में जजों के 33 पद खाली थे.
जजों के लिए नहीं मिलते उपयुक्त लोग, जो मिले उनमें से आधे खाारिज
जानकारों के मुताबिक हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के मामले में 2 तरह की समस्याएं मुख्य रूप से सामने आ रही हैं. पहली तो यही कि उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम को जजों के पद पर नियुक्ति के लिए उपयुक्त लोग नहीं मिलते. दूसरी दिक्कत है कि हाईकोर्ट कॉलेजियम जिन नामों की सिफारिश करता भी है, उनमें से करीब 50% खारिज हो जाती हैं. या तो केंद्र सरकार के स्तर पर या उससे पहले सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर ही. या फिर उन्हें पुनर्विचार के लिए संबंधित कॉलेजियम के पास फिर लौटा दिया जाता है. इन्हीं कारणों से समस्या जस की तस बनी हुई है.
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