पंजाब में कांग्रेस की करारी हार से सियासी पिच पर सिद्धू की गिल्लियां भी उड़ीं, अब ये हैं उनके सामने विकल्प

अमृतसरः पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly elections) में कांग्रेस की करारी हार (Congress defeated) के बाद नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. लेकिन उनका आगे का सफर कैसा और कहां रहेगा, इसे लेकर अटकलों का दौर जारी है. राजनीति में हिचकोले खाती अपनी सियासी पारी को देखते हुए सिद्धू किस तरफ रुख करेंगे, राजनीतिक जानकार इसका अंदाजा लगा रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि राजनीति में सीमित विकल्पों के मद्देनजर सिद्धू फिर से टीवी पर शोबिज़ (ShowBiz) की दुनिया में लौट सकते हैं, या एक बार फिर क्रिकेट की कमेंट्री (Cricket commentary) करते दिखाई दे सकते हैं. हालांकि सिद्धू ने अभी इस बारे में कोई संकेत नहीं दिया है.
पंजाब चुनावों में कांग्रेस की बुरी गत के लिए एक तबका नवजोत सिंह सिद्धू को सीधे तौर पर दोषी मान रहा है. उसका कहना है कि बतौर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू का नौ महीने का कार्यकाल अंदरूनी लड़ाई झगड़े में और अपना कद ऊंचा दिखाने में ही निकल गया. पहले तो उनका तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से टकराव हुआ. उसके बाद वह अमरिंदर की कुर्सी गिराने में जुट गए. इसमें वह कामयाब भी हुए. लेकिन अमरिंदर की जगह जो चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के सीएम की गद्दी पर बैठे, उनसे भी सिद्धू की नहीं पटी. सिद्धू अपने तरीके से कामकाज चलाना चाहते थे. अपने डिप्टी और विश्वसनीय नौकरशाहों के हाथ में पूरी कमान चाहते थे, लेकिन चन्नी के रहते ये संभव नहीं हुआ.
कांग्रेस को मिली सबसे करारी हार
कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी उठापटक का असर वोटरों पर ही नहीं, कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं पर भी पड़ा. उनका रहा सहा जोश भी ठंडा पड़ गया. इसका नतीजा चुनाव परिणाम के रूप में सामने आया. 117 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस महज 18 सीटें ही जीत पाई जबकि 2017 के चुनाव में उसे 77 सीटें मिली थीं. कांग्रेस सिर्फ इस बात से खुद को सुकून दे सकती है कि चुनावों में वह दूसरे नंबर की पार्टी रही. सिद्धू की रही सही कसर अमृतसर ईस्ट से चुनाव हारकर पूरी हो गई. वहां राजनीति की नई खिलाड़ी जीवन जोत कौर ने सिद्धू को धूल चटा दी.
‘कांग्रेस की हार के लिए सिद्धू दोषी’
2004 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव में उतरकर राजनीतिक पारी शुरू करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू इससे पहले क्रिकेट की दुनिया में सक्रिय थे. लेकिन पाकिस्तान में कमेंट्री के बाद से उनके राजनीतिक करियर ने हिचकोले लेना शुरू कर दिया था. बाद में वह बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए. कांग्रेस ने उन्हें पंजाब कांग्रेस की जिम्मेदारी दी. लेकिन चुनाव में कांग्रेस की शर्मिंदगी भरी हार का कलंक उनके माथे लग गया. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कांग्रेस की बुरी हार के लिए पूर्व मंत्री त्रिपत राजिंदर सिंह बाजवा तो सीधे तौर पर सिद्धू को जिम्मेदार ठहराते हैं. वह कहते हैं कि पार्टी में अनुशासनहीनता और आपसी फूट सिद्धू की वजह से ही शुरू हुई. डेरा बाबा नानक से विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा भी संकेतों में ऐसी ही बात कहते हैं. खडूर साहिब से कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल हार के लिए पार्टी नेताओं के अहंकार और अभिमान को दोषी मानते हैं.
सिद्धू के लिए आगे का रास्ता
राजनीतिक विश्लेषक मनोहर लाल शर्मा कहते हैं कि सिद्धू के लिए राजनीति में अब सुनहरे भविष्य की उम्मीद करना बेमानी होगा. पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ के सलाहकार रह चुके शर्मा का मानना है कि कांग्रेस अब सिद्धू को किसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने से बचना चाहेगी. दूसरे दलों में भी फिलहाल उनके लिए जगह नहीं दिखती. ऐसे में सिद्धू अब फिर से शो बिजनेस में वापसी कर सकते हैं, या फिर क्रिकेट कमेंट्री के मैदान में लौट सकते हैं.
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