उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव तेजी से पिघल रहे, तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो धरती पर रहना होगा मुश्किल

हमने प्रकृति के साथ इतना खिलवाड़ कर लिया है कि अब बात हमारे संभाले नहीं संभल रही है. दुनिय़ाभर के वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, पर्यावरणविद अपनी ओर से जोर लगा रहे हैं लेकिन धरती पर रोज नए, अजीब और हैरान कर देने वाली चीज़ें हो रही हैं. इसी तरह की एक घटना धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में देखने को मिली है. इस जगह को धरती का सबसे ठंडा स्थल माना जाता है. यह वह क्षेत्र हैं जहां पूरे साल भर तापमान -50 या -60 डिग्री बना रहता था. अब वहीं पर पिछले हफ्ते अंटार्कटिका के रिसर्च स्टेशन के वैज्ञानिकों ने -12.2 डिग्री तापमान दर्ज किया है, जबकि पिछले साल दिसंबर में यहीं का तापमान -13.7 डिग्री दर्ज किया गया था. यानी यहां पर बढ़ती गर्मी ने महज तीन महीने में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया.
इसके पहले अंटार्कटिका में वोस्टोक स्टेशन में भी तापमान अस्थाई तौर पर -20.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. अगर तापमान शून्य के करीब या 10 डिग्री पर बना रहता है तो इसे भीषण गर्मी की लहर के तौर पर देखा जाता है. अंटार्कटिक क्षेत्र में जहां उत्तरी ध्रुव मौजूद है. वहां भी तापमान का औसत से 50 डिग्री ज्यादा गर्म होने ने वैज्ञानिकों को दहशत में ला दिया है. अंटार्कटिक क्लाइमेटोलॉजी के एक शोधार्थी और पत्रकार स्टेफैनो बतिस्ता ने ट्वीट करते हुए लिखा कि दो दिन पहले तक यह बात हमें असंभव लग रही थी.
वहीं यूनिवर्सिटी ग्रीनोबेल एल्प्स के पोलार मेटरोलॉजी विभाग के डॉ जोनेथन विली ने ट्वीट करके लिखा कि जो हो रहा है ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ है.
धरती के लिए मुश्किल समय
मेसाचुसेट्स युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ जूली ब्रिघम ग्रेटे का कहना है कि दुनियाभर में जो हवा की धारा पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है, जलवायु परिवर्तन की वजह से ठंडी धाराएं दक्षिण की ओर और गर्म धाराएं उत्तर की ओर आ रही हैं. कुल मिलाकर तुरंत कदम नहीं उठाने पर आने वाले वक्त में धरती पर रहना मुश्किल होना तय है.
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