NCR में बिल्डर्स के अटके तो अथॉरिटी के हाथों-हाथ बिक रहे फ्लैट-प्लाट, जानिए क्यों

नोएडा. रियल एस्टेट (Real Estate) कारोबार में नोटबंदी और कोरोना-लॉकडाउन (Corona-Lockdown) को एक शाप के रूप में देखा जा रहा है. हाईराइज बिल्डिंग्स अधूरी पड़ी हैं. नए प्रोजेक्ट मानों अब आना ही बंद हो गए हैं. सबसे ज्यादा बुरा हाल दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) का है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और यूपी रेरा (UP RERA) के आदेश पर दूसरी अथॉरिटी अधूरे प्रोजेक्ट पूरे कर रही हैं. लेकिन इसके इतर नोएडा (Noida), यमुना और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी लाइन लगाकर फ्लैट और प्लाट बेच रही हैं. लॉकडाउन में भी प्लाट बेचने का रिकॉर्ड बना रही हैं. किस्तों में बिकनी वाली प्रापर्टी अब नकद बिक रही है. रियल एस्टेट कारोबार में आए इसी फर्क पर रोशनी डालती है न्यूज18 हिंदी की यह खास रिपोर्ट.
जेवर एयरपोर्ट की तैयारी शुरू होते ही ऐसे बढ़ता गया मुनाफा
यमुना अथॉरिटी से जुड़े अफसरों की मानें तो जेवर एयरपोर्ट के चलते ही दो साल में मुनाफा 300 फीसद तक बढ़ गया है. अगर वित्तीय वर्ष 2018-19 की बात करें तो यमुना अथॉरिटी का शुद्ध मुनाफा 149 करोड रुपए था. जबकि 2019-20 में यही शुद्ध मुनाफा बढ़कर 289 करोड़ रुपए हो गया था. लेकिन बीते साल शिलान्यास की तारीख नजदीक आते ही यह मुनाफा 2020-21 में सीधे 455 करोड रुपए हो गया. जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट आना अभी बाकी है.
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ऐसे बिक रहे फ्लैट-प्लाट
पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी जब फ्लैट और प्लाट के विज्ञापन जारी करती थी तो उसमे यह छूट होती थी कि खरीदार तीन किस्तो में रुपये जमा कर फ्लैट और प्लाट ले सकता है. लेकिन अब फ्लैट-प्लाट छोटे हो या बड़े सभी नकद बिक रहे हैं. एक-एक फ्लैट-प्लाट पर 70 से 80 आवेदन आ रहे हैं. जबकि पहले प्लाट की संख्या ज्यादा होती थी और आवेदन करने वालों की कम.
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कानून के नाम पर प्रेशर बनाते हैं फ्लैट खरीदार-सुशील गुप्ता
गाजियाबाद के नामी बिल्डर्स सुशील गुप्ता का कहना है, “आईपीसी में पहले से ही बहुत सारी धाराएं थी जिनका इस्तेमाल कर कुछ फ्लैट खरीदार बिल्डर्स पर प्रेशर बनाते थे. उस पर यूपी रेरा के गठन के बाद से बिल्डर्स का शोषण और बढ़ गया है. हम यह नहीं कहते कि हमारी इंडस्ट्री में सब अच्छे हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सब गलत हैं. खरीदार को राहत देने के लिए तो तमाम कानून हो गए, लेकिन बिल्डर्स के साथ गलत हो रहा होता है तो कोई साथ देने नहीं आता है. हम अपना सब कुछ दांव पर लगाकर ईमानदारी के साथ प्रोजेक्ट पर काम करते हैं, लेकिन हर तरह के लोगों को चढ़ावा नहीं चढ़ा सकते.”
इसलिए बिल्डर्स पर कम जा रहे हैं फ्लैट खरीदार
नोएडा एस्टेट फ्लैट ओनर्स मेन एसोसिएशन (नेफोमा) अध्यक्ष अन्नू खान का कहना है, “नोएडा-ग्रेटर नोएडा में किसी भी बिल्डर को प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद संबंधित अथॉरिटी कम्पलीशन सर्टिफिकेट देती है. यह सर्टिफिकेट तब मिलता है जब बिल्डर अथॉरिटी का सभी तरह का बकाया जमा करा देता है. इसके बाद ही बिल्डर खरीदार को फ्लैट की रजिस्ट्री कर सकता है.
लेकिन एनसीआर के इन शहरों में बहुत सारे ऐसे प्रोजेक्ट हैं जहां बिल्डर ने फ्लैट खरीदार को कब्जा तो दे दिया, लेकिन 10-12 साल बीत जाने के बाद अभी तक रजिस्ट्री नहीं की है. क्योंकि बिल्डर ने अथॉरिटी में अपना बकाया जमा नहीं कराया है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि ऐसे मामलों पर अथॉरिटी भी खामोश रहती है. अकेले नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ऐसे पीड़ित फ्लैट बायर्स की संख्या करीब 1.25 लाख है.”
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