5 points explainer russian space agency boss warns against sanctions block cooperation what these warning means

नई दिल्ली. यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Attack on Ukraine) जारी हैं. अब तक वह यूक्रेन को पूरी तरह कब्जे में ले नहीं पाया है. इस बीच अमेरिका भी रूस पर ऐसे सख्त आर्थिक प्रतिबंधों का बंदोबस्त करता जा रहा है, जिसने उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इन प्रतिबंधों की गंभीरता इस बार कितनी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस के प्रमुख दिमित्री रॉगोजिन (Roscosmos Chief Dmitry Rogozin) ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को गिराने की धमकी तक दे दी है. इससे दुनियाभर के देशों में चिंता है. इसीलिए यह जानना रोचक हो सकता है कि आखिर आईएसएस में ऐसा क्या है और रूस की उसमें कैसी भूमिका है, जो पूरी दुनिया उसकी धमकी से चिंतित है? और क्या अमेरिका इस धमकी से झुक सकता है? जानने की कोशिश करते हैं, इन्हीं सवालों से जुड़े पहलुओं को इस 5-प्वाइंट एक्सप्लेनर से.
क्या कहा है रॉसकॉसमॉस के प्रमुख ने?
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस (Russian Space Agency Roscosmos) के प्रमुख दिमित्री रॉगोजिन (Roscosmos Chief Dmitry Rogozin) ने गुरुवार को अमेरिकी प्रतिबंधों का अगले चरण की घोषणा के बाद ट्वीट किया था. इसमें कहा था, ‘अगर आप हमारे (रूस के) साथ सहयोग को बाधित करते हैं, तो आईएसएस को गिरने से कौन बचाएगा. आईएसएस अनियंत्रित होकर अमेरिका या रूस में कहीं भी गिर सकता है. यह 500 टन का ढांचा भारत या चीन में गिर सकता है. क्या आप उन्हें ऐसी किसी संभावना से डराना चाहते हैं? याद रखिए, आईएसएस रूस के ऊपर से नहीं गुजरता. इसलिए पूरा जोखिम आपके लिए है. क्या आप इसके लिए तैयार हैं?’
इस बार प्रतिबंधों से रूस आखिर क्यों भड़का है?
रूस (Russia) पर अमेरिकी प्रतिबंधों का मामला नया नहीं है. यूक्रेन (Ukraine) के ही क्रीमिया पर 2014 में जब रूस ने हमला किया था और उसे अपने में मिला लिया था, तब भी अमेरिका ने उसके खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे. इसके बावजूद रूस अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में सहयोग करता रहा. क्योंकि उन आर्थिक प्रतिबंधों से उसकी सेहत पर ज्यादा असर पड़ा नहीं. लेकिन इस बार अमेरिका ने कंप्यूटर चिप जैसी बेहद अहम चीज की आपूर्ति भी रूस के लिए वैश्विक स्तर पर रोक दी है. दरअसल, चिप और सेमीकंडक्टर की डिजाइन से जुड़े दुनिया में सबसे अधिक पेटेंट अमेरिकी कंपनियों के पास हैं. यानी कंप्यूटर चिप बनाने वाली दुनिया की तमाम कंपनियां इस मामले में अमेरिकी कंपनियों पर निर्भर हैं. इन कंप्यूटर चिप का इस्तेमाल कार, स्मार्टफोन, मिसाइल, उपग्रह आदि तमाम चीजों में होता है. लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से रूस के लिए इन कंप्यूटर चिप की आपूर्ति प्रभावित ही नहीं बड़े पैमाने पर बाधित होने लगी है. इसी से वह भड़का हुआ है.
इस बार प्रतिबंधों से रूस आखिर क्यों भड़का है?
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