Russia Ukraine News: Chernobyl nuclear plant came into the limelight again during the war-जंग के दौरान फिर चर्चा में आया चेरनोबिल न्यूक्लियर प्लांट


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Russia Ukraine News: 26 अप्रैल 1986 का वो दिन जब यूक्रेन में स्थित परमाण प्लांट में एक विनाशकारी धमाका हुआ, जिसने पूरी दुनिया को हिला दिया था। यूक्रेन का यही न्यूक्लियर पॉवर प्लांट एक बार फिर रूस—यूक्रेन की जंग में चर्चा में आ गया है। दरअसल, रूसी सेना ने चेरनोबिल पर कब्जा कर लिया है। इस दौरान हुई गोलीबारी में न्यूक्लियर वेस्ट स्टोरेज फैसिलिटी को नुकसान पहुंचने की बात की जा रही है। जेलेंस्की ने कहा है कि उनके देश की सेना चेरनोबिल जैसे दूसरे हादसे को रोकने के लिए जी-जान लगाकर युद्ध कर रही है। वहीं, रूसी रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया है कि उनकी सेना के हवाई हमले में यूक्रेन के 74 मिलिट्री बेस को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा डोनबास में एक यूक्रेनी अटैक हेलीकॉप्टर को मार गिराया गया है।
दरअसल, आज से 36 साल पहले 26 अप्रैल 1986 को तत्कालीन सोवियत संघ के चेरनोबिल के न्यूक्लियर पावर प्लांट में विनाशकारी धमाका हुआ था। इस हादसे की विभीषिका का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि धमाके के चंद घंटे में प्लांट में काम करने वाले 32 कर्मचारियों की मौत हो गई। इसके अलावा सैकड़ों कर्मचारी न्यूक्लियर रेडिएशन की वजह से बुरी तरह से जल गए। शुरू में तो सोवियत संघ ने इस हादसे को छिपाने की पूरी कोशिश की। मीडिया कवरेज से लेकर लोगों की आवाजाही को तुरंत रोक दिया गया था। लेकिन, स्वीडन की एक सरकारी रिपोर्ट के बाद तत्कालीन सोवियत संघ ने इस हादसे को स्वीकार कर लिया था। विभाजन के बाद चेरनोबिल शहर यूक्रेन के हिस्से में आ गया।
बेलारूस से करीब 20 किमी दूर है चेरनोबिल
चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 130 किलोमीटर उत्तर में प्रिपयेट शहर में स्थित था। यह जगह बेलारूस की सीमा से करीब 20 किलोमीटर दक्षिण में है। इस न्यूक्लियर पावर प्लांट में चार रिएक्टर बने हुए थे। यूनिट 1 का निर्माण 1970 में जबकि यूनिट 2 का निर्माण 1977 में हुआ था। 1983 में यूनिट नंबर 3 और 4 का काम पूरा हुआ था। इस हादसे के समय दो रिएक्टर एक्टिव थे। इस रिएक्टर को ठंडा रखने के लिए पास से बह रही प्रिपयेट नदी के किनारे एक कृत्रिम झील का निर्माण किया गया था। इस झील से पानी को पाइप के सहारे रिएक्टर तक लाया जाता था। बाद में उन्हें इस्तेमाल कर वापस इसी झील में भेज दिया जाता था।
क्यों हुई थी चेरनोबिल परमाणु दुर्घटना
26 अप्रैल को दुर्घटना वाले दिन न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक टेस्ट किया जाना था। इस दौरान वैज्ञानिक यह जांच करना चाहते थे कि क्या बिजली सप्लाई बंद होने की स्थित में रिएक्टर के बाकी उपकरण काम करते हैं कि नहीं। वो यह भी पता लगाना चाहते थे कि इस स्थिति में न्यूक्लियर टरबाइन कितनी देर तक घूमते रहेंगे और बिजली सप्लाई को बनाए रखेंगे। इस बिजली की मदद से रिएक्टर को ठंडा रखने वाले कूलिंग पंपों की बिजली सप्लाई की वास्तविकता का भी अध्ययन किया जाना था।