रुपये की कमजोरी से बच्चों को विदेश में पढ़ाना होगा महंगा, जानिए, क्यों टूट रहा रुपया Rupee Due to the weakness of, it will be expensive to teach children abroad, know why this will happen


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Highlights
- पया 102 पैसे की जोरदार गिरावट के साथ 75.6 प्रति डॉलर पर बंद हुआ
- अगले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर 76 तक जा सकता है
- भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोप जाते हैं
नई दिल्ली। यूक्रेन के खिलाफ रूस का सैन्य अभियान शुरू होने के बाद गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 102 पैसे की जोरदार गिरावट के साथ 75.6 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। करेंसी विशेषज्ञ आगे भी रुपये में और बड़ी गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं। केडिया एडवाइजरी के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि अगले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर 76 तक जा सकता है। यह बच्चों को विदेश पढ़ाने से लेकर घूमने के बजट बढ़ाने का काम करेगा। इसका असर पेट्रोल—डीजल के दाम सहित तमाम आयातित वुस्तुओं पर होगा। आयातकों को अधिक पैसे का भुगतान करना होगा। वे इसकी भरपाई उपभोक्ताओं से करेंगे।
रुपये में कमजोरी के असर को उदाहरण से ऐसे समझें
मान लेते हैं कि विदेश में किसी वस्तु की कीमत 90 डॉलर है। भारत में आयात करने पर उस वस्तु को टैक्स चुकाने के बाद आयातक को 100 डॉलर चुकाने होते हैं। अगर, एक डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य 75 है तो उसे 100 डॉलर के लिए 7500 रुपये चुकाने होंगे। अब रुपये में गिरावट आने से वह एक डॉलर का मूल्य 76 रुपये के बराबर हो गया है। ऐसे में उस आयातक को 7600 रुपये देने होंगे। इस तरह उसे अधिक पैसे का भुगतान करना होगा। इसी तरह विदेशी में पढ़ने की फीस या घूमने पर अधिक खर्च करना होगा।
उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं लाखों छात्र
भारत में उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने का चलन बहुत पुराना है। भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोप जाते हैं। रुपए की गिरावट भारत में विदेश-शिक्षा के इस रुझान पर बड़ा असर डालेगा क्योंकि अब समान शिक्षा के लिए पहले की तुलना 15 से 20 फीसदी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
महंगाई और बढ़ जाएगी
रुपये टूटने से भारत में महंगाई और बढ़ जाएगी। पेट्रोल—डीजल से लेकर तमाम जरूरी के सामान के दाम बढ़ने स महंगाई बढ़ेगी। वहीं, दिनोंदिन रुपए की बिगड़ रही हालत निवेशकों को भारतीय अर्थव्यवस्था के हालात के संकेत भी दे रही है। इससे निवेशकों के रुख पर भी बुरा असर होगा।