Up assembly elections a profile of awadh region

ममता त्रिपाठी
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) का चौथा चरण राजनैतिक और भौगोलिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. चौथे चरण में तराई, रूहेलखंड, बुंदेलखंड और अवध के कुछ जिले शामिल हैं, जो पूरे प्रदेश की कॉकटेल बनाते हैं. प्रदेश में इस चरण में 23 फरवरी को पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा की 59 सीटों पर मतदान होना है. इस बाबत राजनीति के जानकार, पिछले 2 विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के नतीजों की तरफ ध्यान दिलाते हैं. खास तौर पर इस तरफ कि जो पार्टी अवध में जीती, प्रदेश में सरकार भी उसी की बनी है.
उदाहरण 2017 के चुनाव का ही है. पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में मोदी लहर में भाजपा (BJP) ने 59 में से यहां की 51 सीटें जीती थीं. जबकि 1 सीट उसके गठबंधन के घटक ‘अपना दल’ (Apna Dal) को मिली थी. यानी कुल 52 और सरकार भी बड़े बहुमत से भाजपा की बनी थी. भाजपा ने 2017 में पीलीभीत की सभी चारों, लखीमपुर की आठों तथा बांदा और फतेहपुर की 6-6 सीटें जीती थीं. हरदोई की 7 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं. जबकि 1 पर सपा के नितिन अग्रवाल जीते थे. इस चुनाव में नितिन भाजपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. ऐसे ही सीतापुर में 9 विधानसभा सीटों में से 7 पर भाजपा (BJP) जीती. सपा और बसपा को 1-1 सीट मिली थी. प्रदेश की राजधानी लखनऊ की 9 में से 8 सीटों पर कमल खिला. बाकी 1 पर सपा की साइकिल चली. कांग्रेस की परंपरागत रायबरेली में भी भाजपा ने सेंधमारी करते हुए 6 में से 3 सीटें जीती थीं. कांग्रेस को 2 और सपा को 1 सीट मिली थी. इसी तरह उन्नाव में भी भाजपा का कब्जा रहा था.
इस बार के चुनाव का मिजाज अलग
हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections-2022) का मिजाज अलग है. लखनऊ में 1991 से 2017 तक हर चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का नाम फिजाओं में गूंजता था. मगर इस बार वे पूरे चुनावी परिदृश्य से गायब हैं. पुराने लखनऊ में शिया धर्मगुरू कल्बे जव्वाद लगातार योगी सरकार के काम की तारीफ करते हुए भाजपा के लिए वोट करने की तकरीर देते हुए सुने जा सकते हैं. उन्नाव में दुष्कर्म पीड़िता की मां आशा सिंह को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है. उसी तरह लखीमपुर में मंत्री पुत्र के किसानों पर जीप चढ़ाने के मामले के बाद से वहां भी चुनाव पेचीदा हो गया है. पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi) पूरे चुनाव में कहीं भी एक भी सभा में नजर नहीं आए. हालांकि मेनका गांधी (Maneka Gandhi) ने सुल्तानपुर में एक जनसभा जरूर की. रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक रहीं अदिति सिंह ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है. वे अब प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) के नारे- ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का जवाब दे रही हैं. उत्तर प्रदेश इस बार कांग्रेस की चुनावी नैया संभाल रहीं प्रियंका के लिए खुद यह इस चरण का चुनाव बड़ी परीक्षा है.
इस बार के चुनाव का मिजाज अलग
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