Mahendra Singh considered beloved of BJP gets big responsibility in every election

(ममता त्रिपाठी)
नई दिल्ली. बेहतरीन संगठन क्षमता के चलते महेन्द्र सिंह भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लाडले माने जाते हैं. इसीलिए पार्टी देश में कहीं भी चुनाव हो तो उन्हें हर चुनाव में जिम्मेदारी जरूर देती है. महेंद्र सिंह 2014 में असम के प्रभारी बने और 2016 के विधानसभा चुनाव में उत्तर पूर्व में असम में पहली बार भाजपा की सरकार बनी, सर्वानंद सोनोवाल पहले भाजपाई मुख्यमंत्री बने.
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास पढ़ाने वाले महेन्द्र सिंह अखिल भारतीय विघार्थी परिषद से 1989 से जुडे़ रहे. राजनीति का ककहरा और अनुशासन वहीं से सीखने के बाद कॉरपोरेटर से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर यूपी में जलशक्ति मंत्री पर आकर रुका. उनका मिलनसार, सरल व्यक्तित्व और कार्यशैली उन्हें लोगों के बीच एक खास पहचान दिलाती है.
सीएम योगी आदित्यनाथ के रहे हैं करीबी
2012 में भाजपा ने महेन्द्र सिंह को यूपी विधान परिषद का सदस्य बनाया. 2017 में यूपी में भाजपा की बम्पर जीत के बाद महेन्द्र सिंह को ग्राम्य विकास का मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया. प्रधानमंत्री आवास योजना के बेहतर क्रियान्वयन के बाद उनके विभाग को केन्द्र सरकार से 12 पुरस्कार मिले जिसके बाद उन्हें जलशक्ति जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया. महेन्द्र सिंह योगी आदित्यनाथ के करीबी लोगों में शुमार किए जाते हैं इसलिए यूपी के चुनाव में उन्हे मेरठ, बुलंदशहर, मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ और गोरखपुर का जिम्मा सौंपा गया है.
इस चुनाव में किस तरह की चुनौतियां हैं, क्यूं और कैसे अलग है 2022 का विधानसभा चुनाव और चुनावों से इसके जवाब में महेंद्र सिंह कहते हैं कि भाजपा सबका साथ, सबका विकास और सबके प्रयास से चुनाव लड़ रही है और इस बार अपने किए गए काम के साथ जनता के बीच जा रहे हैं हमलोग. सरयू परियोजना जो 1970 से अधूरी थी उसको योगी सरकार ने पूरा किया.
खराब कानून व्यवस्था को ठीक करने के नाम पर हमारी सरकार बनी और अच्छी कानून व्यवस्था के साथ भाजपा लोगों के बीच जा रही है. इस बार के चुनाव में मुस्लिम महिलाएं भी ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर भाजपा को वोट कर रही हैं. उनके अनुसार कोई खास मुद्दा है ही नहीं इस चुनाव में इसलिए कोई विपरीत लहर जैसी बात ही नहीं दिख रही. दलित, पिछड़ा और यहां तक कि धर्म जैसा कोई भी कार्ड नहीं चल रहा है. सबसे बड़ी बात की पूरे पांच साल के कार्यकाल में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ, सारे धर्म के लोगों ने उल्लास के साथ अपना त्यौहार मनाया.
लोकतंत्र में जनता जनार्दन है और चुनाव में अपने वोट के जरिए वो चोट देती है. कई बार दाग़ अच्छे हैं और कई बार वो नासूर बन जाते हैं क्यूंकि उन गलतियों को ठीक करने का मौक़ा पांच साल बाद ही मिल पाता है.
इस बार का चुनाव आजादी के बाद से हुए सारे चुनावो से भिन्न है क्यूंकि कोरोना महामारी के चलते ना रैली हो रही है ना जनसभाएं लेकिन फिर भी लोग वोट करने निकल रहे हैं ये भाजपा के अच्छे शासन का ही नतीजा है.
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