Leopard head stuck in plastic water can rescue Maharashtra News

ठाणे. वन्यजीवों से डरने और मारने की खबरें आम हैं, लेकिन एक ताजा घटना में 30 से ज्यादा लोगों ने करीब 48 घंटों तक अपनी जान को हथेली पर रखकर एक तेंदुए का जीवन बचाया. मामला महाराष्ट्र (Maharashtra) के ठाणे जिले का है, जहां एक तेंदुए का सिर प्लास्टिक के डिब्बे में फंस गया था. हालात इतने खराब हो गए थे कि वन्यजीव ने करीब दो दिनों से कुछ खाया-पिया नहीं था. हालांकि, लोगों की मेहनत रंग लाई और तेंदुए को जीवनदान मिला. फिलहाल, गंभीर डिहाइड्रेशन से जूझ रहे तेंदुए का इलाज जारी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार रात को बदलापुर के पास राहगीरों को तेंदुआ इस हाल में मिला. सामने आए वीडियोज में नजर आ रहा है कि तेंदुआ अपना सिर को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है. इसी बीच जब जानवर को बचाने के लिए बचाव दल पहुंचा, तो वह जंगल में गायब हो गया. इसके कुछ समय बाद ही वन विभाग के अधिकारियों, संजय गांधी नेशनल पार्क (SGNP), NGO RAWW और अन्य समूहों ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया.
इस पूरे ऑपरेशन के दौरान जब टीम ने गश्त करना शुरू किया, तो वॉलिंटियर्स ने ग्रामीणों को तेंदुआ दिखने पर अधिकारियों को बताने के लिए कहा. साथ ही ग्रामीणों को तेंदुए के पास नहीं जाने की सलाह दी गई. रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार रात करीब 7 बजे तेंदुए को बदलापुर गांव के पास देखा गया. यहां डार्ट की मदद से उसे बेहोश किया गया.
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RAWW के संस्थापक पवन शर्मा का कहना है, ‘यह शहरों और कस्बों- कल्याण, बदलापुर और मुरबाद को जोड़ता हुआ बहुत ही बड़ा इलाका है. इस मुश्किल इलाके में जानवर का पता लगाना और सबसे मुश्किल काम था. तेंदुए को जंगल में छोड़ने से पहले अगले 24 से 48 घंटों के लिए निगरानी में रखा गया है.’ बचावकर्ताओं का कहना है कि यह सुनिश्चित करना भी बड़ी चुनौती थी कि तेंदुआ इंसानी बस्ती के पास न पहुंच जाए.
प्रोग्रेसिव एनिमल वेलफेयर सोसाइटी (PAWS) के नीलेश भंगे कहते हैं, ‘जानवर का पता लगाने के लिए ग्रामीणों के साथ पूरा ग्राउंड स्टाफ, वॉलिंटियर्स बीते दो दिनों से दिन-रात गश्त कर रहे थे, लेकिन कहीं भी कामयाबी नहीं मिल रही थी. पानी की कमी के कारण जानवर गंभीर रूप से डिहाइड्रेट हो गया था.’
वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट की पहल रोडकिल्स के साथ काम करने वाले मिलिंद परिवाम कहते हैं, ‘शहरी इलाकों के साथ प्लास्टिक का कचरा ग्रामीण और जंगली इलाकों में बड़ी समस्या बन गया है. यह वन्यजीवों के लिए खतरा बन रहा है… प्लास्टिक कचरा या तो तेज हवाओं के जरिए आता है या सड़क किनारे, रेलवे कॉरिडोर आदि पर फेंक दिया जाता है.’ रोडकिल्स भारत में सड़कों या रेल की पटरियों पर हुई जंगली जानवरों की मौत का डेटा जुटाता है.
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