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जब घूंघट, पगड़ी और बिंदी पर रोक नहीं तो हिजाब पर क्यों?- हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील – News18 हिंदी

बेंगलुरु. कर्नाटक में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब (Karnataka Hijab Row) पहनने को लेकर विवाद अभी भी जारी है. कर्नाटक हाईकोर्ट में बुधवार को भी इस मामले की सुनवाई जारी रही. इस सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने मुस्लिम लड़कियों का पक्ष सुना जिन्होंने क्लासरूम में हिजाब पहनने पर रोक लगाने के नियम को चुनौती दी है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने जजों से पूछा कि दुपट्टा, चूड़ियां, पगड़ी, क्रॉस और बिंदी जैसे रोजाना पहने जाने वाले धार्मिक प्रतीकों पर जब कोई रोक नहीं है तो सिर्फ हिजाब को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है.

कुमार ने कहा, “मैं केवल समाज के सभी वर्गों में धार्मिक प्रतीकों की विशाल विविधता दिखा रहा हूं. सरकार अकेले हिजाब को क्यों उठा रही है और यह शत्रुतापूर्ण भेदभाव कर रही है? चूड़ियां पहनी जाती हैं? क्या वे धार्मिक प्रतीक नहीं हैं? आप इन गरीब मुस्लिमों लड़कियों को क्यों निशाना बना रहे हैं?”  रवि वर्मा कुमार ने आगे कहा कि “यह केवल उनके धर्म के कारण है कि याचिकाकर्ताओं को कक्षा से बाहर भेजा जा रहा है. एक बिंदी या चूड़ी पहनने वाली लड़की को बाहर नहीं भेजा जाता है. एक ईसाई क्रॉस पहने हुए को नहीं भेजा गया केवल इन लड़कियों को ही क्यों? यह संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है.”

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सिर्फ हिजाब को लेकर रोक-टोक क्यों?
उन्होंने आगे कहा, घूंघट की इजाजत है, चूड़ियों की इजाजत है. क्यों सिर्फ हिजाब को लेकर ऐसी रोक-टोक? क्यों सिखों की पगड़ी और क्रिश्चियंस के क्रॉस को लेकर ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता. कुमार ने तर्क दिया, “किसी अन्य धार्मिक प्रतीक पर विचार नहीं किया जाता है. केवल हिजाब ही क्यों? क्या यह उनके धर्म के कारण नहीं है? मुस्लिम लड़कियों के खिलाफ भेदभाव विशुद्ध रूप से धर्म के आधार पर है और इसलिए एक शत्रुतापूर्ण भेदभाव है.”

हिजाब पहनने के लिए छात्रों को दंडित या कक्षा से निकाले जाने के उदाहरणों का विरोध करते हुए, वकील ने कहा, “हमें अनुमति नहीं है. हमें सुना नहीं जाता है लेकिन सीधे दंडित किया जाता है. इससे ज्यादा कठोर क्या हो सकता है? क्या उन्हें शिक्षक कहा जा सकता है?” उन्होंने कहा, “यह धर्म के कारण पूर्वाग्रह से भरा हुआ कदम है. बिना किसी नोटिस के अधिकार न रखने वाले लोगों ने उन्हें सीधे कक्षा से बाहर निकाल दिया.”

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मुस्लिम लड़कियों के साथ होगी नाइंसाफी
कुमार ने कहा, “न्यायिक रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए कि मुस्लिम लड़कियों की संख्या कक्षाओं में पहले से ही कम होती है. अगर उन्हें इस बहाने से रोक दिया जाता है, तो यह बहुत कठोर होगा.”

बता दें कर्नाटक में पिछले दिनों हिजाब पहने हुई चार छात्राओं को कक्षा में प्रवेश देने से रोक दिया गया था. जिसके बाद पूरे राज्य में तनाव का माहौल बन गया था जिसके बाद स्कूलों को कुछ दिन के लिए बंद कर दिया गया था. फिलहाल हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के बीच सभी स्कूलों को एक बार फिर से खोल दिया गया है और सभी छात्रों के किसी भी तरह के धार्मिक पहनावे पर रोक लगा दी गई है.

Tags: Hijab controversy, Karnataka

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