Ahmedabad serial bomb blast case court likely to verdict today lak

नई दिल्ली. 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम ब्लास्ट मामले में आज सुनवाई हो सकती है. इस मामले में फैसला 2 फरवरी को ही आने वाला था लेकिन 30 जनवरी को ही स्पेशल कोर्ट के जज ए आर पटेल कोरोना से संक्रमित हो गए जिसके कारण फैसले को स्थगित करना पड़ा. अब यह फैसला आज आने वाला है. यह मामला 26 जुलाई 2008 का है जब अहमदाबाद नगर पालिका इलाके में एक घंटे के अंदर 21 सिलसिलेवार धमाके हुए थे. इस धमाके ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस धमाके में 56 लोगों की मौत हुई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे.
इतने अधिक धमाके इतने कम समय देश में इससे पहले कभी नहीं हुए थे. महज एक घंटे के अंदर अहमदाबाद में 21 धमाके हुए थे. इस हमले के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद मोदी ने सभी आतंकियो को पकड़ने के आदेश दिए थे. गुजरात के अभी के डीजीपी आशीष भाटिया की अगुवाई में सबसे बेहतरीन अफसरों की टीम बनाई गई थी. धमाके के बाद 27 को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह अहमदाबाद के दौरे पर आए थे.
19 दिन में 30 आतंकी पकड़े थे
मनमोहन सिंह के आने के बाद 28 जुलाई को गुजरात पुलिस की टीम बनी और सिर्फ 19 दिनों में 30 आतंकियो को पकड़कर जेल भेज दिया गया था. उसके बाद भी समय समय पर बाकी आतंकी पकड़े गए हैं. अहमदाबाद धमाको से पहले इंडियन मुजाहिदीन की इसी टीम ने जयपुर और वाराणसी में धमाके किये थे. देश के कई राज्यो की पुलिस उन्हें पकड़ने में जुटी थी लेकिन वे एक के बाद एक धमाके करते गए.अहमदाबाद धमाको के दूसरे दिन यानी 27 जुलाई को सूरत में सिलसिलेवार धमाके करने थे लेकिन टाईमर मैं हुई गड़बड़ी के चलते ये धमाके नहीं हो सके.
78 आरोपियों पर चार्ज
यूपी के आजमगढ़ मॉड्यूल के सबसे खूंखार अबू बशर को यूपी से गुजरात लाने के लिये गुजरात सरकार ने स्पेशल एयरक्राफ्ट भेजना पड़ा था. अहमदाबाद और सूरत दोनों मामलो को एक साथ किया गया था. कोर्ट आज अहमदाबाद के धमाके और सूरत में धमाको की साजिश के मामले मे कोर्ट फैसला सुनाएगी. इस पूरे मामले मे अबतक 78 आरोपियो पर चार्ज फ्रेम हो चुके है जबकि 06 आरोपियो पर चार्ज फ्रेम होने बाकी है जिस में 02 आरोपियो की मौत हो चुकी है. 82 आतंकी सलाखों के पीछे है. 96 आतंकियो की पहचान हुई थी. इनमें 3 पाकिस्तान और 1 सीरिया भागने में कामियाब हुए थे. कुल 51 लाख पन्नो की चार्जशीट है. 1163 गवाहों की गवाही मान्य रखी गयी है. 2009 से ही रोजाना इसकी सुनवाई जारी थी.
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