Omicron mild or less sever nature know what the world health organization experts found in the new study

नई दिल्ली: कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Covid-19 New Variant) की वजह से देश में तीसरी लहर (Corona Third Wave) ने दस्तक दे दी है. गुरुवार को देश भर में कोरोना के 1 लाख 17 हजार से अधिक मामले सामने आए. ओमिक्रॉन (Omicron Cases) का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है जिसके बाद अब इस नए वेरिएंट को लेकर विशेषज्ञों का राय भी बदलने लगी है. स्वास्थ्य एक्सपर्ट का कहना है ओमिक्रॉन (Omicron Live) को एक हल्के वेरिएंट के रूप में लेना एक बड़ी गलती हो सकती है.
ओमिक्रॉन को लेकर अपने नए अध्यय में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोरोना के इससे पहले के वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन से ग्रसित होने वालों की अस्पतालों में भर्ती होने की संख्या कम है लेकिन सिर्फ इसी वजह से इसे हल्का वेरिएंट नहीं समझा जा सकता. ओमिक्रॉन को पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पहचाना गया था तब इसे एक हल्का संस्करण करार दिया गया था क्योंकि यह किसी भी तरह से गंभीर बीमारी का कारण नहीं बना था, लेकिन अब पूरी दुनिया में बहुत तेजी से इसके मामलों में उछाल आया है.
तेजी से बढ़ते मामलों के बाद अब कुछ देशों में इस वेरिएंट से संक्रमित लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या भी बढ़ रही है. एक्सपर्ट लगातार इस वेरिएंट को लेकर अध्ययन कर रहे हैं और उनका कहना है कि कोरोना का यह वेरिएंट कम गभीर है लेकिन इसे हल्का नहीं माना जा सकता. ओमिक्रॉन को लेकर सामने आए नए निष्कर्ष के पांच बातें बेहद अहम हैं-
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि ओमिक्रॉन अब पिछले वेरिएंट की ही तरह लोगों को अस्पताल में भर्ती कर रहा है और अब इससे लोगों की मौत भी होने लगी है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके लिए डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम गंभीर प्रतीत होता जिन्होंने वैक्सीन की दोनो डोज ली हुई हैं.
,कैंब्रिज इंस्टीट्यूट फॉर थेराप्यूटिक इम्यूनोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी में भारतीय मूल के वैज्ञानिक और प्रोफेसर रवींद्र गुप्ता का मानना है कि ओमिक्रॉन को हल्का वेरिएंट मानना एक बड़ी गलती हो सकती है उन्होंने कहा कि अगला वेरिएंट और अधिक खतरनाक और विषैला हो सकता है.
बुजुर्गों पर इस वेरिएंट का क्या असर है यह अभी भी एक ऐसा सवाल बना हुआ जिसका ठीक प्रकार से उत्तर नहीं मिल पा रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि युवा और टीकाकृत लोगों को पर ओमिक्रॉन का असर कम होगा. वैज्ञानिकों के अनुसार ओमिक्रॉन के हल्के होने की सोच इसका एक सामान्य व्यवहार है. इस हल्के वेरिएट का भी संचरण अमेरिका में काफी तेजी से हुआ है.
डॉ. गुप्ता ने कहा कि ओमिक्रॉन को लेकर अभी भी अध्ययन किया जा रहा है. यह वेरिएंट सिर्फ एक मार्ग ही क्यों चुन रहा है, यह फेफड़ों को क्यों नहीं नुकसान पहुंचा रहा यह अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है.
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