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नई दिल्ली. पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सुरक्षा में हुई चूक मामले में भारतीय किसान संघ (बीकेयू) की प्रतिक्रिया आई है। खबर है कि इसी समूह के प्रदर्शन के चलते पीएम मोदी का काफिला फ्लायओवर पर करीब 20 मिनट तक अटका रहा। हालांकि, समूह के नेताओं का कहना है कि उन्हें पीएम की तय यात्रा के संबंध में जानकारी नहीं थी। हालांकि, बीकेयू क्रांतिकारी (फूल) के महासचिव बलदेव सिंह जीरा का कहना है कि पुलिस ने मार्ग से पीएम काफिला गुजरने की बात बताई थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उसपर भरोसा नहीं किया। सुरक्षा में चूक के मामले में गृहमंत्रालय ने पंजाब सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
सुरजीत सिंह फूल के भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के करीब 400-500 प्रदर्शनकारियों ने फिरोजपुर जिले की घल खुर्द तहसील के पियारियाना गांव के समीप फ्लाईओवर पर धरना दिया हुआ था. उन बीकेयू नेताओं का कहना है कि हम वहां भाजपा समर्थकों को रैली में जाने से रोकने के लिए लामबंद हुए थे न की पीएम मोदी के काफिले को रोकने के लिए.
इस समूह के बारे में जानें
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीकेयू क्रांतिकारी (फूल) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा है, जिसने दिल्ली की सीमाओं पर अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ सालाना विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था. बीकेयू क्रांतिकारी (फूल) पंजाब के 11 जिलों में सक्रिय है, जिसमें सात जिलों में बड़ी उपस्थिति है, जिनमें से नौ मालवा क्षेत्र में हैं, और दो माझा में हैं. संघ राज्य भर में 25,000-30,000 सदस्य होने का दावा करता है.
जीरा ने स्वीकार किया कि फिरोजपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) हरमनदीप सिंह ने प्रदर्शनकारियों को सूचित किया था कि पीएम का काफिला उस मार्ग से यात्रा करेगा. जीरा ने कहा कि लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उस पर विश्वास नहीं किया, यह संदेह करते हुए कि यह पुलिस द्वारा उन्हें हटाने के लिए एक चाल थी ताकि भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक रैली में पहुंच सकें. उन्होंने कहा कि अगर हमें पता होता कि पीएम वास्तव में उस सड़क पर यात्रा करेंगे, तो हमने अपना धरना हटा दिया होता.
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भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने की थी योजना
जीरा के अनुसार किसान बुधवार को तीन स्थानों पर धरने पर बैठे थे. उनका इरादा भाजपा समर्थकों को उस नियोजित रैली के स्थल पर पहुंचने से रोकने का था जिसे प्रधानमंत्री फिरोजपुर में संबोधित करने वाले थे. संघ की इकाइयां भी पीएम की नियोजित रैली के खिलाफ अपने-अपने जिला मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन कर रही थीं.
जीरा कहते हैं कि पीकेएमएससी ने अपना विरोध तब उठाया जब अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि पीएम 15 मार्च को किसानों की लंबित मांगों पर चर्चा करने के लिए उनसे मिलेंगे. इन मांगों में सभी फसलों के लिए एमएसपी, किसानों के खिलाफ उनके विरोध के दौरान दर्ज सभी मामलों को वापस लेना और विरोध के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों के लिए मुआवजा और सरकारी नौकरी शामिल है.
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