Marriage age of girls study shows early female puberty breast development

नई दिल्ली. देश में शादी की सही उम्र को लेकर बहस जारी है. केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी (Marriage age of Girls) की उम्र 21 साल तय करने के लिए कानून बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. लेकिन, केंद्र की मंशा के खिलाफ सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर अलग-अलर सुर उठ रहे हैं. खाप पंचायतें जहां कानूनी तौर पर शादी की उम्र 21 वर्ष करने की बात कर रही हैं तो ये भी कह रही हैं कि माता-पिता को 18 की उम्र में शादी (Marriage age of Girls) करने का हक दिया जाए. वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) और समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने भी केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं.
वहीं विज्ञान से जुड़े अध्ययनों को देखें तो अलग दृष्टिकोण सामने आ रहा है. स्तनों के विकास से जुड़े एक ग्लोबल डाटा के परिणामों को देखें तो 1970 के दशक के मुकाबले अब लड़कियां तकरीबन एक साल पहले यौवन (Puberty) की अवस्था में पहुंच रही हैं. 30 अलग-अलग अध्ययनों से जुड़े डाटा को संकलित करके किए गए अध्ययन में यह भी देखने को मिला है कि 1977 से 2013 तक हर दशक में स्तन के विकास की उम्र में औसत रूप से तीन महीने की गिरावट दर्ज की गई है. महिलाओं में स्तनों का विकास यौन अवस्था का पहला क्लिनिकल लक्षण माना जाता है.
हालांकि इस बदलाव की वजह से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में अभी कोई स्पष्टता नहीं है. वेबएमडी डॉट कॉम ने एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा है कि इस बारे में अभी बहुत ज्यादा अध्ययन उपलब्ध नहीं हैं, जिनसे ये पता चल सके कि स्तनों का विकास जल्दी होने से महिलाओं के स्वास्थ्य जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लड़कियों में जल्दी माहवारी शुरू होने का जुड़ाव मोटापा, टाइप 2 स्तर का डायबिटीज, हृदय रोग और एलर्जी से हो सकता है. महिलाओं में यौन अवस्था का अंतिम क्लिनिकल लक्षण माहवारी को माना जाता है.
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा है कि स्तनों के विकास की पहली उम्र में पिछले चार दशकों में तेजी से गिरावट आई है. उन्होंने पाया कि यूरोप में किशोरियों में स्तनों के विकास की औसत उम्र 10 से 11 साल है. मध्य पूर्व में यह 10 है और एशिया के देशों में 9 से 11 है. वहीं अमेरिका में यह 9 से 10 वर्ष है. वहीं अफ्रीकी देशों में यह 10 से 13 वर्ष है. हालांकि शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह नहीं बताया है कि ऐसा क्यों हो रहा है, लेकिन उन्होंने मोटापा, टाइप 2 स्तर का डायबिटीज, हृदय रोग और एलर्जी की ओर इशारा करते हुए डीडीटी और डीडीई जैसे केमिकल्स को जिम्मेवार बताया है.
शोधकर्ताओं ने कहा है कि अध्ययन में यह साबित हुआ है कि डीडीटी और डीडीई जैसे रसायन यौन अवस्था को प्रभावित करते हैं, जिसके चलते शरीर में जल्दी बदलाव देखने को मिलते हैं. साथ ही शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी सहमति जताई कि स्तनों के विकास से शरीर पर पड़ने वाले खतरे के बारे में कुछ कहना मुश्किल है, क्योंकि इस क्षेत्र में पर्याप्त रिसर्च का अभाव है.
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