ENG vs IND India rises in home of cricket, hopes to win series in England after 14 years – होम ऑफ क्रिकेट में लहरा भारत का परचम, इंग्लैंड में 14 साल बाद सीरीज जीतने की उम्मीद जागी


ENG vs IND India rises in home of cricket, hopes to win series in England after 14 years
क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर आजादी के एक दिन बाद यानी 16 अगस्त को भारत का परचम लहराया। विराट कोहली की अगुवाई में टीम इंडिया ने मेजबानों को 151 रनों से धूल चटाई। इसी के साथ कोहली होम ऑफ क्रिकेट में कपिल देव (1986) और महेंद्र सिंह धोनी (2014) के बाद टेस्ट मैच जीतने वाले तीसरे भारतीय कप्तान बन गए हैं। कपिल देव और धोनी ने अपनी कप्तानी में इस ऐतिहासिक मैदान पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहे, मगर वह भारत को सीरीज नहीं जीता पाए। अब विराट कोहली के पास इतिहास रचने का बेहतरीन मौका है। ऐसा नहीं है कि भारत ने इंग्लैंड को उसी की सरजमीं पर कभी चित नहीं किया है। 1971, 1986 और 2007 में भारत अंग्रेजो को उन्हीं के घर में घुसकर मात दे चुका है, लेकिन होम ऑफ क्रिकेट में जीत दर्ज करने के बाद सीरीज जीतने का स्वाद ही कुछ अलग होगा।
भारतीय टीम ने पहले दो टेस्ट मैचों में जिस तरह का जुनून और आत्मविश्वास दिखाया है उसे देखकर इंग्लैंड में 14 साल बाद जीतने की उम्मीद जागी है। पहले मुकाबले के आखिरी दिन भारत को 157 रन की दरकार थी, लेकिन बारिश ने खेल खराब कर दिया और इंग्लैंड हार का सामना करने से बच गया, वहीं दूसरे टेस्ट मैच में ऑलराउंडर प्रदर्शन कर टीम ने जीत दर्ज की। इस सीरीज में साफ देखने को मिल रहा है कि टीम इंडिया डोमिनेट कर रही है। अगर खिलाड़ी इसी तरह प्रदर्शन करते रहे तो इस बार जीत हमारी ही होगी।
दूसरे टेस्ट के बाद टीम इंडिया और मजबूत दिखाई दे रही है। लॉर्ड्स मुकाबले में अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा फॉर्म में लौटते दिखाई दिए, वहीं भारतीय टेल यानी निचले क्रम के बल्लेबाज इंग्लैंड के लिए सिरदर्द बनें। आइए जानते हैं लॉर्ड्स टेस्ट से भारत को क्या क्या फायदा हुआ और टीम कैसे 14 साल बाद इंग्लैंड को उसी की सरजमीं पर धूल चटा सकती है।
मुकद्दर के सिकंदर केएल राहुल
ENG vs IND India rises in home of cricket, hopes to win series in England after 14 years
पहले टेस्ट में 84 और दूसरे टेस्ट में 129 रन की पारी खेलने के बाद केएल राहुल ने एक बार फिर अपनी कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस का नमूना पेश किया है। इंग्लैंड दौरे से पहले कोई उम्मीद नहीं लगा रहा था कि राहुल को प्लेइंग इलेवन में जगह मिलेगी। मगर उनकी किस्मत में शायद इस दौरे पर खेलना लिखा था। पहले शुभमन गिल और फिर मयंक अग्रवाल चोटिल हो गए। बैकअप ओपनर पृथ्वी शॉ श्रीलंका से इंग्लैंड के लिए उड़ान भर चुके थे, मगर उनको कोविड-19 प्रोटोकॉल के चलते क्वारंटीन होना था। भारत को पास सलामी बल्लेबाजों में कोई ऑपशन नहीं बचा था और राहुल को रोहित के साथ सलामी बल्लेबाजी करने का मौका मिला। राहुल ने इस मौके को दोनों हाथों से लपका और नतीजा आपके सामने ही है। 2018 इंग्लैंड टूर के आखिरी मुकाबले में राहुल ने 149 रन की पारी खेली थी, लेकिन इसके बाद वह सिलसिलेवार तरीके से रन बनाने में कामयाब नहीं हो पा रहे थे। इसका खामियाजा राहुल ने टेस्ट टीम से बाहर होकर उठाया। राहुल के जाने के बाद मयंक अग्रवाल, पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ी अपना स्थान पक्का करने में लग गए, वहीं इसी बीच रोहित शर्मा की भी एंट्री हुई। ऐसे में लगने लगा था कि राहुल की अब हमें कभी सफेद जर्सी में भारत के लिए खेलते हुए नहीं दिखाई देंगे। मगर मुकद्दर के सिकंदर राहुल ने इन दो पारियों से टीम में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है।
मुश्किल समय में रहाणे-पुजारा ने दिखाया दमखम
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भारतीय टीम के उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे और टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा के बारे में पिछले कुछ समय से यह बात जरूर सुनने को मिलती है कि यह सीरीज इन दोनों खिलाड़ियों की आखिरी सीरीज होगी। इन चर्चाओं की वजह दोनों खिलाड़ियों की फॉर्म होती है। ये दोनों ही खिलाड़ी रन भले ही कम बनाए, लेकिन अपनी छाप जरूर छोड़ने में कामयाब रहते हैं। पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रहाणे ने जहां शतक बनाकर टीम को जीत दिलाई थी, वहीं पुजारा ने गाबा टेस्ट मैच में अपने स्वभाव अनुरूप मैच जीताऊ पारी खेली थी। यही वजह है कि कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट इन दोनों खिलाड़ियों पर निरंतर भरोसा जताते हैं। इंग्लैंड दौरे पर भी यही हुआ पहले मुकाबले में पुजारा ने 16 और रहाणे ने 5 रन बनाए। बारिश की वजह से दूसरी पारी में यह दोनों बल्लेबाज ज्यादा नहीं खेल पाए। मगर जब लॉर्ड्स टेस्ट में इन खिलाड़ियों के परफॉर्मेंस की भारत को जरूरत थी तो रहाणे ने 146 गेंदों पर 61 और पुजारा ने 206 गेंदों पर 45 अतुल्य रन बनाए। यहां इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने अनुभव का इस्तेमाल किया, रन बनाने के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा गेंद खेलकर मैच को अंत तक लेकर गए। आगमी मैचों में भी उम्मीद रहेगी कि पुजारा-रहाणे ऐसे ही टीम इंडिया के लिए खेलते रहें।
भारतीय टेल बनी इंग्लैंड का सिर दर्द
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आजकल टीवी पर एक विज्ञापन बड़ा चल रहा है और यह मुहावरा भी बड़ा प्रसिद्ध है हाथी निकल गया है बस पूछ रह गई। ऐसा ही कुछ हमें कल भारतीय बल्लेबाजी के साथ देखने को मिला। इंग्लैंड के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजी क्रम पूरा धराशायी कर दिया था। सलामी बल्लेबाजों से लेकर कोहली-पंत तक सभी खिलाड़ियों को इंग्लिश गेंदबाज पवेलियन का रास्ता दिखा चुके थे। उस समय ऐसा लग रहा था कि भारत मेजबानों के सामने 170-180 से अधिक का लक्ष्य नहीं रख पाएगा। मगर तब भारत के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने क्रीज पर अपने पांव जमाए और यह इंग्लैंड के लिए सिरदर्द बन गया। इशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने मिलकर 106 रन जोड़े और मेजबानों के सामने जीत के लिए 272 रन का लक्ष्य रखा। यहीं से यह सुनिश्चित हो गया था कि भारत यहां से मैच नहीं हारेगा।
लाजवाब भारतीय बॉलिंग अटैक
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क्रिकेट के पंडितों का कहना है कि भारत का मौजूदा बॉलिंग अटैक टीम इंडिया के इतिहास का सबसे मजबूत बॉलिंग अटैक है। इसका उदहारण हमें लॉर्ड्स टेस्ट मैच के दौरान देखने को मिला। अंतिम दिन भारत के पास 60 के करीब ओवर थे और जीत के लिए 10 विकेट की दरकार थी। पिच से कोई मदद नहीं थी और पिछले तीन पारियों में दोनों टीमों ने 100 से अधिक ओवर खेले थे। कोहली एंड कंपनी के लिए यह काम काफी कठिन था, लेकिन नामुमकिन नहीं। युवा सिराज से लेकर अनुभवी इशांत, बुमराह और शमी सभी ने अपना सबकुछ झोंक दिया। टीम इंडिया महज 51.5 ओवर में ही इंग्लैंड को समेटने में कामयाब रही। भारत का यह बॉलिंग अटैक अतना मजबूत है कि दोनों टेस्ट में मेजबानों को उन्होंने हर पारी में ऑल-आउट किया है।
यह तो थे भारत के मजबूत पक्ष, अब बात कर लेते हैं कि भारत के पास क्यों इस बार इंग्लैंड में जीतने का सुनहरा मौका है।
-इंग्लैंड के कप्तान जो रूट को छोड़कर अन्य बल्लेबाज फॉर्म में दिखाई नहीं दे रहे हैं। सलामी बल्लेबाजों से लेकर बटलर-बेयरस्टो तक कोई भी बल्लेबाज सिलसिलेवार तरीके से रन नहीं बना पा रहा है।
ENG vs IND India rises in home of cricket, hopes to win series in England after 14 years
-भारत के खिलाफ सीरीज से बेन स्टोक्स, जोफ्रा आर्चर के बाद स्टुअर्ट ब्रॉड भी बाहर हो गये हैं, वहीं एंडरसन का दूसरे टेस्ट में चोटिल होने की वजह से खेलना संभव नहीं था। इस वजह से इंग्लैंड की टीम उतनी मजबूत दिखाई नहीं दे रही है। अगर एंडरसन भी बाहर हो जाते हैं तो उनके खेमें में अनुभव की अच्छी खासी कमी देखने को मिलेगी।