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Tokyo Olympics 2020 Ravi Dahiya I didn’t come to Tokyo for silver medal, it won’t give me satisfaction – मैं रजत पदक के लिये टोक्यो नहीं आया था, इससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी – रवि दहिया

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Tokyo Olympics 2020 Ravi Dahiya I didn’t come to Tokyo for silver medal, it won’t give me satisfaction

नई दिल्ली। युवा भारतीय पहलवान रवि दहिया ने गुरुवार को कहा कि टोक्यो ओलंपिक में वह शायद रजत पदक जीतने के ही हकदार थे लेकिन वह पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का अपना सपना पूरा करने की कोशिश करेंगे। इस 23 वर्षीय खिलाड़ी ने पुरुष वर्ग के 57 किग्रा फाइनल के बाद पीटीआई से कहा कि यह रजत पदक उन्हें कभी संतोष नहीं देगा हालांकि उनका प्रदर्शन भारतीय कुश्ती के लिये काफी मायने रखता है। 

दहिया ने जापान की राजधानी से फोन पर कहा, ‘‘मैं रजत पदक के लिये टोक्यो नहीं आया था। इससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी। शायद इस बार मैं रजत पदक का ही हकदार था क्योंकि युगुएव आज बेहतर पहलवान था।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जो चाहता था, वह हासिल नहीं कर पाया।’’ 

दहिया ने विश्व चैंपियन युगुएव के रक्षण को तोड़ने के लिये अपनी तरफ से भरसक प्रयास किया लेकिन रूसी पहलवान ने उन्हें कोई मौका नहीं दिया। दो बार के मौजूदा एशियाई चैंपियन ने कहा, ‘‘उसकी शैली बहुत अच्छी थी। मैं अपने हिसाब से कुश्ती नहीं लड़ पाया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। उसने बहुत चतुरता से कुश्ती लड़ी।’’ 

दहिया से जब पूछा गया कि उनका रजत पदक भारतीय कुश्ती के लिये क्या मायने रखता है तो वह उत्साहित हो गये। उन्होंने कहा, ‘‘वो तो ठीक है लेकिन रजत पदक लेकर चुप नहीं बैठ सकता। मुझे अपनी एकाग्रता बनाये रखनी होगी और अपनी तकनीक पर काम करना होगा तथा अगले ओलंपिक खेलों के लिये तैयार रहना होगा।’’ 

रवि के पिता राकेश ने उन्हें यहां तक पहुंचाने के लिये काफी बलिदान दिये। वह अब भी परिवार को चलाने के लिये पट्टे पर लिये गये खेतों पर काम करते हैं। हरियाणा सरकार ने उनके लिये चार करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की है और दहिया ने कहा कि वह केवल पैसे के बारे में नहीं सोच रहे थे और उनका ध्यान केवल ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने पर था। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि वह अपने पिता पर खेतों में काम नहीं करने के लिये दबाव नहीं बनाएंगे। 

दहिया ने कहा, ‘‘उन्हें काम करने में खुशी मिलती है। यह उन पर निर्भर है कि वह आराम चाहते हैं या नहीं। मैं उन पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाऊंगा।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे गांव ने तीन ओलंपियन दिये हैं और वह मूलभूत सुविधाओं का हकदार है। मैं नहीं बता सकता कि पहले क्या चाहिए। गांव को हर चीज की आवश्यकता है। हर चीज महत्वपूर्ण है चाहे वह अच्छे स्कूल हों या खेल सुविधाएं।’’ 

दहिया का गांव नाहरी दिल्ली से 65 किमी दूर है लेकिन वहां अब भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

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