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Artificial intelligence will not be able to compete with human brain, no need to be afraid of ChatGPT| ह्यूमन ब्रेन का मुकाबला नहीं कर पाएगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चैटजीपीटी से डरने की जरूरत नहीं

चैटजीपीटी - India TV Paisa
Photo:AP चैटजीपीटी

बीते कुछ दिनों से OpenAI का चैटजीपीटी काफी चर्चा में है। इसकी वजह है जैटजीपीटी आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस से लैस एक टूल है, जो एआई की मदद से किसी से भी संवाद कर सकता है और डिमांग के मुताबिक, पढ़ने वाला कंटेंट बना सकता है। आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस से लैस इस चैटबॉट को कुछ लोग हर समस्या के समाधान बता रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चैटजीपीटी सहयोगी की तरह काम कर सकते हैं लेकिन यह कभी भी ह्यूमन ब्रेन का मुकाबला नहीं कर पाएगा। 

नौकरियां जाने का खतरा नहीं 

टीसीएस का मानना है कि चैटजीपीटी जैसे एआई सहकर्मी के तौर पर काम करेंगे और इनसे नौकरियां कम नहीं होंगी। इस तरह के टूलबॉक्स की मदद से उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी लेकिन कंपनियों के व्यापारिक मॉडल में कोई बदलाव नहीं आएगा। यह एक सहकर्मी होगा और उस सहकर्मी को ग्राहक के संदर्भ को समझने में समय लगेगा। नौकरी का अर्थ उद्योग केंद्रित या ग्राहक केंद्रित होता है, जो कर्मचारी ही आगे भी करेंगे और इस काम में ऐसे सहकर्मी (उत्पादक एआई) सहायक होंगे।

एआई नहीं कर पाएगा ह्यूमन ब्रेन का मुकाबला

Bliss Marcom कंपनी के सीईओ और डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट अभिषेक कुमार ने इंडिया टीवी को बताया कि AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की चर्चा इन दिनों पर जोर है। हालांकि, यह लंबे सयम से इंसानों की जिंदगी में अहम रोल निभा रहा है। आज के समय में एआई का इस्तेमाल डेटा का त्वरित और सटीक विश्लेषण करने में, पूर्वानुमान करने में,  ग्राहक सेवा और मार्केटिंग से लेकर सप्लाई चेन ऑप्टिमाइज़ेशन और वित्तीय विश्लेषण तक में हो रहा है। हालांकि, किसी भी नई तकनीक की तरह, एआई के उपयोग से जुड़े संभावित जोखिम और चुनौतियां हैं। इसलिए मेरा मनना है कि एआई की अपनी एक लिमिट है। यह कभी भी ह्यूमन ब्रेन का मुकाबला करने में सक्षम नहीं होगा। इसलिए यह कहना है कि एआई आने से इंसानों की जरूरत खत्म हो जाएगी बिल्कुल गलत है। यह एक सपोर्ट सिस्टम के तौर पर काम करता रहेगा। 

 नियम पर विचार जरूरी

 जेनपेक्ट के संस्थापक प्रमोद भसीन ने चैटजीपीटी को लाभकारी बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि कंपनियों और संस्थानों को कार्यस्थल पर कर्मियों द्वारा इसके उपयोग को लेकर जल्द से जल्द नियम और नीतियां बनाने होंगे। प्रौद्योगिकी उद्योग के दिग्गज का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एआई चैटबोट उपकरण दुनियाभर में लोकप्रिय हो गया है। इसे सैन फ्रांसिस्को की कृत्रिम मेधा (एआई) कंपनी ओपनएआई ने तैयार किया है। इसे सवालों के विस्तृत जवाब देने, उपयोगकर्ताओं के संकेतों का जवाब देने और ऑनलाइन सूचना के आधार पर (2021 तक की) यह पटकथा, भाषण, गीत के बोल, गृहकार्य सामग्री, लेख, मार्केटिंग कॉपी, कक्षा निबंध, यहां तक कि शोध पत्र सार का मसौदा तैयार कर सकता है। भसीन के अनुसार, चैटजीपीटी का उपयोग कई क्षेत्रों में रचनात्मक रूप से किया जा सकता है। लेकिन इसके उपयोग को लेकर कंपनियों और संस्थानों को स्पष्ट नियम और नीतियां बनानी होंगी। 

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