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कोरोना से ठीक होने के बाद लीवर से जुड़ी पुरानी बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा-Decoding Long Covid Hepatologist Explains Why Patients With Chronic Liver Disease Are At a Higher Risk

डॉक्टर शर्मा ने समझाया कि किस तरह ठीक होने के बाद लीवर के मरीजों की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए और दवा के साथ इलाज किया जाना चाहिए.

डॉक्टर शर्मा ने समझाया कि किस तरह ठीक होने के बाद लीवर के मरीजों की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए और दवा के साथ इलाज किया जाना चाहिए.

Decoding Long Covid: कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद देखा गया है कि क्रोनिक लीवर डिजीज (CLD) वाले रोगियों में काफी ज्यादा मौत का खतरा बना रहता है.

(सिमांतनी डे)

नई दिल्ली. कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर अब लगभग थम सी गई है. इस बीच एक्सपर्ट्स तीसरी लहर को लेकर चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन चिंता की बात ये है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी परेशानियों को डॉक्टर ‘लॉन्ग कोविड’ का नाम दे रहे हैं, यानी वो बीमारियां जो कोरोना के बाद लोगों को लंबे समय तक परेशान करती हैं. न्यूज़ 18 ने मरीज़ों की इन्हीं परेशानियों को लेकर एक सीरीज़ की शुरुआत की है. इसके तहत कोरोना से होने वाली बीमारियों के बारे में डॉक्टरों की राय और उससे जुड़े समाधान के बारे में चर्चा की जा रही है.

मुंबई के मुलुंद स्थित फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर स्वप्निल शर्मा आज लीवर से जुड़ी परेशानियों के बारे में बता रहे हैं. डॉक्टर शर्मा यहां लीवर ट्रांसप्लांट और एचपीबी सर्जरी के कंसलटेंट हैं. डॉक्टर शर्मा बता रहे हैं कि कैसे कोरोनो वायरस लोगों की मृत्यु दर को बढ़ाता है और लंबे समय में लीवर को प्रभावित करता है.

मौत का खतरा!News18 से बात करते हुए डॉक्टर ने कहा, ‘रिकवरी के बाद देखा गया है कि क्रोनिक लीवर डिज़ीज़ (CLD) वाले कोविड-19 रोगियों में काफी ज्यादा मौत का खतरा बना रहता है. खासकर अल्कोहल से जुड़े लीवर की बीमारियां कोरोना के मरीजों में मौत का खतरा बढ़ा देती है. कोरोना के कुछ मरीजों में लीवर एंजाइम बढ़ जाते हैं.’

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ऐसे होता है लीवर पर असर

डॉक्टर शर्मा ने समझाया कि किस तरह ठीक होने के बाद लीवर के मरीजों की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए और दवा के साथ इलाज किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर दो चीजें होती है. या तो कोरोना वायरस सीधा लीवर पर असर दिखाता है या फिर हाइपॉक्सिक और साइटोकाइन स्ट्रॉर्म के जरिए. कई बार दवाई के असर से भी लीवर को नुकसान पहुंचता है. दरअसल कोरोना के कुछ गंभीर मरीजों को दवाई की ज्यादा डोज़ दी जाती है.

सावधानी है जरूरी

डॉक्टर ने आगे कहा, ‘इसलिए, ऐसे रोगियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. उन्हें स्वस्थ आहार लेना चाहिए और नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए. हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण वाले मरीजों को अपना इलाज जारी रखना चाहिए और अपने हेपेटोलॉजिस्ट के साथ नियमित रूप से कोरोना ​​​​के ठीक होने के बाद का पालन करना चाहिए,’





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