Corona virus uses black carbon emissions to spread: study/कोरोना वायरस फैलने के लिए काले कार्बन उत्सर्जन का सहारा लेता है: अध्ययन– News18 Hindi
इसके कारण कई बीमारियों होने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आती है. पीएम 2.5 में अन्य सूक्ष्म कणों के साथ ही काला कार्बन भी शुमार रहता है. अलग-अलग तरह के ईंधन के जलने पर काला कार्बन उत्सर्जन होता है. शोध के लेखक अदिति राठौड़ और गुफरान बेग ने कहा कि कई अध्ययन में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को वायु प्रदूषण से जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि इटली में किए गए एक शोध में पीएम 2.5 के स्तर और कोरोना वायरस के मामलों का आपस में संबंध दर्शाया गया है.
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वरिष्ठ वैज्ञानिक बेग ने कहा, ” हालांकि, हमारे शोध में यह दलील दी गई है कि पीएम 2.5 के सभी कणों में कोरोना वायरस नहीं होता है. हालांकि, कोरोना वायरस फैलने के लिए जैव ईंधन के जलने के दौरान उत्सर्जित काला कार्बन का ही सहारा लेता है.”
शोध में कहा गया, ” दिल्ली कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित रही. हालांकि, जब लगभग छह महीने बाद हालात सामान्य होने के साथ मृतक संख्या में कमी दर्ज की जाने लगी, तो अचानक ही संक्रमण के नए मामलों में 10 गुना से अधिक का इजाफा दर्ज किया गया. ऐसा पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं के बाद देखने में आया.”
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