दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘बंगबंधु चेयर’ की स्थापना, विदेश सचिव ने 2021 को भारत-बांग्लादेश रिश्तों के लिए बताया बेहद खास

नई दिल्ली. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को कहा कि साल 2021 भारत और बांग्लादेश के रिश्तों के लिए बेहद खास है. उन्होंने कहा, ‘जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपनी बांग्लादेश यात्रा में उल्लेख किया था, यह वर्ष “त्रिवेणी” – मुजीब बोरशो, हमारे राजनयिक संबंधों की 50 वीं वर्षगांठ और बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध की स्वर्ण जयंती का प्रतीक है.’ वे दिल्ली विश्वविद्यालय में बंगबंधु चेयर की स्थापना के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को लेकर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे. उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश की सरकार 17 मार्च 2020 से 17 मार्च 2021 को बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के शताब्दी महोत्सव (मुजीब बोरशो) के रूप में मना रही है.
बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान के सम्मान में और भारत तथा बांग्लादेश के राजनयिक संबंधों के साथ-साथ देश के मुक्ति संग्राम की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में ‘बंगबंधु पीठ’ की स्थापना की गई. रहमान को बांग्लादेश के लोग ‘बंगबंधु’ (बंगाल का मित्र) कहते हैं. इस मौके पर आईसीसीआर के महानिदेशक दिनेश के पटनायक और डीयू के कार्यवाहक कुलपति पीसी जोशी ने पीठ की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किया.
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं में से एक पूरी हो गई है. उन्होंने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से नई जमीन तैयार होगी जो भारतीय शिक्षाविदों के बीच बांग्लादेश से संबंधित ज्ञान और सद्भावना बढ़ाने में मदद करेगी.
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, ‘शेख मुजीबुर रहमान ने आजादी के लिए एक महान लड़ाई का नेतृत्व किया. उन्होंने एक राष्ट्र भी बनाया. चाहे कोई उन्हें बंगबंधु कहे या राष्ट्रपिता, इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोई एक बहुत बड़े ऐतिहासिक व्यक्ति की बात कर रहा है जिसने राष्ट्रों के भाग्य को आकार दिया.’ उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने अपने राष्ट्र के विकास की नींव भी रखी. प्रभावशाली आर्थिक विस्तार दर और तेजी से सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में सुधार के साथ बांग्लादेश क्षेत्र में विकास के प्रमुख इंजनों में से एक है. ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें हमने बांग्लादेश से सीखा है और आगे भी सीखते रहेंगे.’