एम्बुलेंस के लिए ज्यादा शुल्क लेने के खिलाफ याचिका पर विचार से कोर्ट का इनकार

यह याचिका न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लायी गयी. याचिका में महामारी के दौरान गंगा नदी में कई शवों के मिलने की खबरों का हवाला दिया गया था.
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पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता (दिल्ली स्थित एक गैर-सरकारी संगठन) ने याचिका में इस मुद्दे पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की सिफारिशों के बारे में जिक्र किया है. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एनएचआरसी से संपर्क कर सकता है.
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वकील जोस अब्राहम के जरिए दायर याचिका में कहा गया था कि केंद्र को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सलाह देने के लिए निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे वायरस के कारण मरने वालों के अंतिम संस्कार व एम्बुलेंस सेवाओं के लिए शुल्कों को निर्धारित करने की खातिर दिशानिर्देश तैयार करें. याचिका में कहा गया था कि मानवाधिकार आयोग ने पिछले महीने मृतकों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए एक परामर्श जारी किया था.
केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दे कि वे एंबुलेंस सेवाओं और कोरोना संक्रमण से मरने वालों के अंतिम संस्कार के शुल्क निर्धारण के लिए जल्द से जल्द दिशानिर्देश तैयार करें. जिसका अनुपालन न करने पर कड़ी कार्रवाई का प्रविधान हो. गैर-सरकारी संगठन डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव द्वारा अधिवक्ता जोस अब्राहम के जरिये दाखिल याचिका में मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए केंद्र को नीति बनाने पर विचार करने के निर्देश देने की मांग भी की गई है. याचिका के मुताबिक, ‘यह देखना दुखद है कि लोग पैसे के अभाव में अपने प्रियजनों के शवों को गंगा जैसी नदियों में बहा रहे हैं. प्राथमिक तौर पर इसकी वजह एंबुलेंस सेवाओं और अंतिम संस्कार के लिए मांगी जा रही अत्याधिक धनराशि है.’