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सुरक्षा बलों को भड़काकर किसानों के प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने की ISI की साज़िश

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. (फाइल फोटो)

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. (फाइल फोटो)

Farm Laws Farmers Protest: तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग के साथ हजारों किसान कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

  • Last Updated:
    June 21, 2021, 8:14 PM IST

नई दिल्ली. 26 जून को होने वाले किसानों के प्रदर्शन के दौरान गड़बड़ी और हिंसा फैलने के लिए  ISI ने इस बार नई चाल चली है. किसानों के प्रदर्शन के दौरान कानून-व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए तैनात सुरक्षा बलों को ही भड़काकर हिंसा और गड़बड़ी  फैलाने की ISI ने प्लानिंग की है. इससे पहले ISI ने  देश विरोधी तत्वों के जरिये किसानों को भड़काकर  हिंसा और गड़बड़ी फैलाने की साज़िश रची थी.

दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा किसानों  ने 26 जून को देश के अलग-अलग राज्यों के राजभवन और DM के ऑफिस के सामने प्रदर्शन करने की योजना बनाई है. संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के 40 संगठनों का अम्ब्रेला ऑर्गेनाइजेशन है. प्रदर्शन के सात महीने पूरे होने के मौके पर कृषि कानूनों के तीन प्रावधानों को रद्द करने के लिए किसान महीनों से आंदोलन कर रहे हैं.

26 जनवरी को दिल्ली के लाल किला में हुई हिंसा और दिल्ली के कुछ इलाकों मे की गई तोड़फोड़ के बाद  किसान आंदोलन से जुड़े कई संगठन आंदोलन से हट गए थे, जिसके बाद से ये आंदोलन लगातार कमजोर होता गया है. कुछ संगीन  घटनाओं ने भी किसान आंदोलन को कमजोर करने में अहम भूमिका अदा की है.

ताज़ा घटना पिछले हफ्ते  हरयाणा के बहादुरगढ़ की है, जिसमें एक ग्रामीण को ज़िंदा जला दिया गया. इसका आरोप भी किसान आंदोलनकारियों पर लगा, जिसके बाद गांव के लोग भी किसान आंदोलनकारियों के खिलाफ हो गए. इन सबके बीच पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी लगातार देश विरोधी तत्वों के जरिये किसानों और अब सुरक्षा बलों के जरिये अशांति और हिंसा फैलाने की साज़िश रच रही है.

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग के साथ पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसान कई दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच 10 से अधिक दौर की बातचीत गतिरोध खत्म करने में विफल रही है.

क्या है मामला

कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर 2020 में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था. सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी. वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी.





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