भुखमरी झेलते North Korea में जब लोग इंसानी मांस खाने लगे, रोंगटे खड़े करते थे हालात

उत्तर कोरिया फिर एक बार चर्चा में है. यहां के तानाशाह किम जोंग उन ने देश में कम होती खाद्य सामग्री को लेकर चेतावनी दी. इस बीच वहां से खाने-पीने की चीजों के दाम अनाप-शनाप बढ़ने की भी खबर आ रही है. वैसे उत्तर कोरिया में इससे पहले भी भुखमरी के हालात बने थे. तब कई जगहों से कोरियाई लोगों के इंसानी मांस खाने की खबरें भी आई थीं.
कैसे हैं उत्तर कोरिया के हालात
वहां के शासक किम जोंग उन ने खुद देश में आए खाद्यान्न संकट पर बात की. इस बारे में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) का भी अनुमान है कि वहां पर लगभग दो महीने तक का ही राशन बाकी है. यही कारण है कि खाने की बहुत समान्य चीजों के दाम भी दसियों गुना तक बढ़ चुके हैं. सरकार ने हालांकि आश्वासन दिया कि वो हर मुमकिन कोशिश कर रही है ताकि लोगों के भूख से मरने की नौबत न आए.

किम जोंग ने संकट की बात करते हुए खराब मौसम का भी जिक्र किया (Photo- news18 English via AP)
क्या है इस संकट की वजह
कोरोना के चलते दुनिया के लगभग देशों की इकनॉमी पर असर हुआ लेकिन उत्तर कोरिया को सबसे प्रभावित देशों में भी रखा जा सकता है. असल में ये देश व्यापार के लिए दुनिया के दूसरे देशों से संबंध नहीं रखता, बल्कि अधिकतर चीन पर निर्भर है. कोरोना फैलने पर कोरियाई शासक ने अपनी सीमाएं चीन के लिए भी बंद करवा दीं. इससे जाहिर है कि बिजनेस ठप हो गया.
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अस्सी के बाद सबसे भयंकर बारिश
इसके अलावा किम जोंग ने संकट की बात करते हुए खराब मौसम का भी जिक्र किया. यहां एक के बाद एक कई भयंकर तूफान आए, जिन्होंने फसलों को खराब कर दिया. इस बात की जानकारी खेती-किसानी की जानकारी देने वाली पेरिस स्थित संस्था जियोग्लैम ने दिया. संस्था के मुताबिक इस देश में साल 1981 के बाद से साल 2020 में सबसे ज्यादा बारिश हुई और तूफान आए. ये आपदाएं अगस्त से सितंबर के बीच आईं, जब उत्तर कोरिया में फसलें तैयार हो चुकी होती हैं. इससे फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं.
इस चक्रवात ने मचाई तबाही
जियोग्लैम की रिपोर्ट के अनुसार अगस्त में वहां आए एक चक्रवाती तूफान हागूपिट के कारण भारी तबाही मची. इसमें लगभग 40 हजार हेक्टेयर खेती बर्बाद हो गई. तो ये सारे कारण कोरोना से मिलकर कुछ ऐसे गुंथे कि उत्तर कोरिया में खाद्यान्न संकट गहरा चुका है.

नब्बे के दशक में उत्तर कोरिया से कई भयंकर खबरें आती थीं- सांकेतिक फोटो (pixabay)
नब्बे के दशक में फैली थी भीषण भुखमरी
भुखमरी के इतिहास में सबसे ऊपर इसे ही रखा जाता है. इसकी जड़ें इतिहास से निकली हैं. साल 1948 में नॉर्थ कोरिया अलग देश बना था. वहां का मौसम तब भी खाद्यान्न उपजाने के अनुकूल नहीं था लेकिन तब रूस ने इस कोरियाई देश की मदद की और मुश्किल का एकदम ठीक-ठीक अंदाजा नहीं हो सका.
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दिया आत्मनिर्भरता का मंत्र
अस्सी के दशक से सोवियत संघ कमजोर होने लगा और फिर पूरी तरह से खत्म हो गया. इसके साथ ही उत्तर कोरिया को मिलने वाला अनाज और तेल एकदम से बंद हो गया. तब देश के तत्कालीन नेता किम Il संग ने एक नया टर्म दिया. Juche यानी आत्मनिर्भरता. इसका मतलब है देश हर मायने में आत्मनिर्भर हो, चाहे वो राजनीति हो, कृषि, उद्योग या मेडिसिन.
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तबसे लेकर आज तक देश का दावा है कि वो सारे काम खुद करता है. मजाक में यहां तक कहा जाता है कि हैमबर्गर खाने के शौकीनों ने अपने लिए स्थानीय हैमबर्गर बना लिया, जिसे वहां डबल ब्रेड विद मीट कहते हैं.
ऐसी हालत थी देश में
हालांकि अकाल से इस आत्मनिर्भरता का सच सामने आ गया. तब अन निनो मौसम चक्र के कारण उत्तर कोरिया में भयंकर बाढ़ आई. इससे सारी फसलें तबाह हो गईं. खाद्यान्न खत्म हो गया. पहले सरकार दो समय खाने की अपील करती थी, फिर सरकारी टेलीविजन पर एक समय खाने की अपील होने लगी. हिस्ट्री.कॉम में इसका जिक्र मिलता है. लोग जंगली फल-फूल खाने लगे. जहरीली चीजों के खाने से मौतें होने लगीं.

उत्तर कोरिया में खाने की समान्य चीजों के दाम भी दसियों गुना हो गए हैं- सांकेतिक फोटो (flickr)
भुखमरी के दौर में कई भयंकर खबरें आती थीं
द संडे टाइम्स ने एक रिपोर्ट में बताया कि उत्तर कोरियाई लोग इंसानी मांस खाने लगे हैं. लाइव साइंस वेबसाइट में भी इसका जिक्र है. भूख से अपने दिमाग पर काबू खो चुके लोग अपने ही परिवार के लोगों को मारकर और पकाकर खाने लगे. कई जगहों पर ताजी कब्रें खोदकर उनसे लाशें निकालकर खाने की रिपोर्ट्स आईं.
जापानी की न्यूज साइट एशिया प्रेस (Asia Press) ने सबसे पहले ये खबर की थी. इसके बाद तो पूरी दुनिया में तहलका मच गया था. तब बहुत से देशों ने आगे आकर उत्तर कोरिया की तत्कालीन सरकार से मदद की पेशकश की थी, जिसे उसने स्वीकारा भी था.
कुपोषित है ज्यादातर आबादी
विपरीत मौसम ने इसके बाद भी उत्तर कोरिया का पीछा नहीं छोड़ा. लगातार बारिश और तूफानों के कारण फसलों का बर्बाद होना यहां आम है. यही वजह है कि देश की बड़ी आबादी कुपोषण का शिकार हो चुकी है. यूनाइटेड नेशन्स का मानना है कि 5 में से 2 उत्तर कोरियाई युवा कुपोषण के कारण कई बीमारियां झेल रहा है.