महामारी ने विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, सुधार एवं तैयारी के दोहरे सूत्र पर ध्यान देना जरूरी

नई दिल्ली. विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के कारण हमें विभिन्न क्षेत्रों में उत्पन्न व्यवधान एवं चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है और ऐसे में हमें ‘सुधार एवं तैयारी’ के दोहरे सूत्र पर ध्यान केंद्रित करना होगा तथा वृहद सामूहिक प्रयासों से इन चुनौतियों से पार पाना होगा.
पब्लिक अफेयर्स आफ इंडिया के ‘कोविड बाद विश्व में भारत की विदेश नीति : नये खतरे, नये अवसर’ विषय पर अपने संबोधन में विदेश सचिव ने कहा कि भारत कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से काफी प्रभावित हुआ है, यह कम हुई है लेकिन खत्म नहीं हुई है.
चुनौतियों से निपटने की दिशा में बढ़ रहे हैं आगे
उन्होंने कहा कि हम महामारी की छाया में मिल रहे हैं जिसने समसामयिक इतिहास की धारा को बदल दिया. यह समय अत्यधिक दबाव एवं तनाव का है. उन्होंने कहा कि हम कोविड महामारी की दूसरी लहर से काफी प्रभावित हुए हैं. हम पिछले एक वर्ष में वृहद सामूहिक प्रयासों से इन चुनौतियों से निपटने की दिशा में बढे हैं.श्रृंगला ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधान एवं चुनौतियों से हमें विभिन्न क्षेत्रों में निपटना पड़ रहा है और ऐसे में हमें ‘सुधार एवं तैयारी’ के दोहरे सूत्र पर ध्यान केंद्रित करना होगा तथा वृहद सामूहिक प्रयासों से इन चुनौतियों से पार पाना होगा.
विदेश सचिव ने कहा कि चीन के उदय ने भू-राजनीतिक परिदृश्य में हमें केंद्रीय भूमिका में खड़ा कर दिया है . वह (चीन) हमारा सबसे बड़ा पड़ोसी है और उसके साथ हम सीमा से आगे कई चीजे साझा करते हैं . उन्होंने कहा कि हमें चीन की ओर से एक विशिष्ठ सामरिक चुनौती और हमारी साझी सीमा पर उसकी तरकीबों का मुकाबला कर पड़ रहा है . श्रृंगला ने कहा कि इसक साथ ही आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन तथा जैविक एवं अन्य गैर पारंपरिक खतरे लगातार उभर रहे हैं . नयी प्रौद्योगिकियों ने नये उद्योगों और नयी राजनीतिक धाराओं का सृजन किया है . उन्होंने कहा कि गैर परंपारगत खतरों और नयी प्रौद्योगिकियों ने सम्मिलित रूप से उप पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों का निर्माण किया है .
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विदेश सचिव ने कहा कि मंत्रालय के तौर पर हमें तेजी से बदलते भू राजनीतिक एवं भू आर्थिक माहौल का सामना करना पड़ रहा है जबकि हम बेहद जटिल सामरिक जरूरतों से निपट रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस स्तर की महामारी के संदर्भ में हम सभी ने यह महसूस किया है कि इसके लिये न केवल सम्पूर्ण सरकार की पहल की जरूरत होती है बल्कि सम्पूर्ण समाज को आगे बढ़ना जरूरी होता है. श्रृंगला ने कहा, ‘‘ इसके लिये वैश्विक स्तर पर समाधान एवं क्षमता जुटाना जरूरी होता है. ’’
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय सहित सम्पूर्ण भारत सरकार ने महामारी की नयी वास्तविकताओं के अनुरूप प्रतिक्रिया देते हुए इसके अनुरूप अपने को ढालने का काम किया . उन्होंने कहा कि हमारे मंत्रालय ने कोविड प्रकोष्ठ का गठन किया जो 24 घंटे समन्वय के साथ काम कर रहा है . इसके लिये उपयुक्त संसाधन दिये गए और इसमें हमारे कुछ सर्वश्रेष्ठ अधिकारियों को लगाया गया .
विदेश सचिव ने कहा कि हमारे राजनयिक मिशनों के नेटवर्क ने वंदे भारत मिशन के परिचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी . इसके माध्यम से लॉकडाउन और लॉकडाउन के बाद की अवधि में करीब 70 लाख लोगों का आवागमन हुआ . श्रृंगला ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने कोविड-19 के संबंध में आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की खरीद के लिये भारत सरकार के अधिकार सम्पन्न समूह तंत्र के वैश्विक अंग के रूप में काम किया .
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान भारत में अस्पतालों में भारी मात्रा में आक्सीजन आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत थी. इसमें बड़ी चुनौती चिकित्सा आक्सीजन की आपूर्ति एवं एक स्थान से दूसरे स्थल पहुंचाने की थी. विदेश सचिव ने कहा कि विदेश मंत्रालय और हमारे मिशनों ने आपूर्तिकर्ताओं एवं विभिन्न देशों की सरकारों से सम्पर्क किया और क्रायोजेनिक टैंकर एवं तरल आक्सीजन की व्यवस्था की .
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उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान भारत को सहयोगी देशों से काफी सहयोग एवं समर्थन प्राप्त हुआ . यह भारत के प्रति देशों की अच्छी भावना को प्रदर्शित करता है जो उनकी जरूरत के समय की गई मदद से हासिल हुई .