‘एक भी मौत हुई, तो देना होगा एक करोड़ रुपये का हर्जाना’, 12वीं की परीक्षा पर आंध्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा

शीर्ष अदालत ने राज्य को यह बताने के लिए भी निर्देश दिए हैं कि कैसे केवल 34 हजार कमरों में 5.2 लाख छात्र बैठेंगे. वहीं, राज्य सरकार ने कहा था कि हर कमरे में 15 और 18 बच्चे परीक्षा देंगे. राज्य सरकार ने जानकारी दी थी कि वे जुलाई के अंतिम सप्ताह में 12वीं की परीक्षाएं आयोजित कराना चाहते हैं.
अदालत ने पाया कि अनुमानित पांच लाख बच्चों की परीक्षा लेने के लिए 15 छात्र प्रति कमरे के हिसाब से तीस हजार कमरों की जरूरत होगी. बेंच ने राज्य सरकार का पक्ष रख रहे एड्वोकेट महफूज नाज्की से कहा कि क्या सरकार के पास इतने सारे एग्जाम हॉल को लेकर ‘ठोस फॉर्मूला’ है. बेंच ने कहा, ‘जो वादा आप कर रहे हैं… हम उससे संतुष्ट नहीं हैं. एक कमरे में 15 छात्रों के लिए आपको 35 हजार कमरों की जरूरत होगी.’
सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि महामारी की स्थिति बेहद अनिश्चित है और जुलाई के अंतिम सप्ताह तक क्या होगा, यह कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता. इस दौरान बेंच ने संभावित तीसरी लहर और कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट का भी जिक्र किया. कोर्ट इस मामले पर शुक्रवार को दोपहर दो बजे फिर सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश की काउंसिल से कहा है कि जब अन्य जगहों पर परीक्षाएं रद्द हो गई हैं, तो आप खुद को अलग दिखाने के लिए ऐसा नहीं कर सकते. कोर्ट ने कहा, ‘जब तक हम इस बात से संतु्ष्ट नहीं हो जाते कि आप बगैर किसी मौत के परीक्षा कराने तैयार हैं, तब तक हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते.’ कोर्ट ने कहा है कि वे राज्य के फॉर्मूले से सहमत नहीं हैं. जस्टिस खानविलकर ने सवाल किया, ‘क्या आप छात्रों को जोखिम में डालने जा रहे हैं? इसपर आज फैसला क्यों नहीं ले सकते.’ सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को हालात पर ‘360 डिग्री’ नजरिया रखना चाहिए.