India-China Standoff: सेना के डिसएंगेजमेंट के लिए चीन ने दिया डिवीजन कमांडर लेवल की बातचीत का सुझाव

बीजिंग/नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों के विस्थापित (Disengagement of troops) होने के चार महीने और कोर कमांडर-लेवल की मीटिंग के दो महीने बीत चुके हैं. चीन ने अब पूर्वी लद्दाख के अन्य क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी को लेकर डिवीजन कमांडर लेवल पर बातचीत का सुझाव दिया है. भारतीय पक्ष इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है.
डिवीजन कमांडर लेवल की मीटिंग में मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों के नेतृत्व वाली टीमें शामिल होती हैं. यह कोर कमांडर-लेवल मीटिंग से अलग है, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल जैसे सीनियर अधिकारी शामिल होते हैं, जो कोर या समकक्ष संरचनाओं के प्रमुख होते हैं.
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चीन की तरफ से ये सुझाव ऐसे समय में आया है, जब बीते साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध बना हुआ है. आखिरी बार दोनों देशों के बीच 9 अप्रैल को कोर कमांडर लेवल की बात हुई थी, जिसमें कोई हल नहीं निकल पाया था.15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के एक साल पूरे हो गए हैं. पीएलए सैनिकों के साथ संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. वहीं, चीन ने पीएलए के चार जवानों के मारे जाने की बात स्वीकार की.
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, रक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन ने भारत को बताया है कि हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट दोनों जगहों पर सैनिकों की छोटी टुकड़ी को वास्तविक नियंत्रण रेखा से पीछे हटाने को लेकर डिवीजन कमांडर लेवल पर बात की जा सकती है. अधिकारी ने कहा, ‘चीन ने जमीनी स्तर पर हॉटलाइन बातचीत समेत विभिन्न स्तरों के जरिए भारत को इसकी जानकारी दी है. भारत इस पर विचार कर रहा है.’
हालांकि, अधिकारी ने यह उल्लेख नहीं किया कि क्या डिवीजन कमांडरों के स्तर पर बातचीत में डेपसांग मैदान भी शामिल है, जहां चीन भारतीय सैनिकों को पैट्रोलिंग पॉइंट 10, पीपी11, पीपी11ए, पीपी12 और पीपी13 पर पारंपरिक गश्त सीमा तक पहुंचने से रोक रहा है.
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हाल ही में, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि ऐसी बातचीत में समय लगता है. उन्होंने तवांग के पास 1986 के सुमदोरोंग चू गतिरोध का उदाहरण दिया था, जिसे सुलझाने में आठ साल लग गए थे. बता दें कि पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में शुरू हुए सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए भारतीय और चीनी कोर कमांडरों ने 11 दौर की चर्चा की है.
फरवरी में भारतीय और चीनी सैनिकों को पैंगोंग त्सो और कैलाश पर्वतमाला के उत्तर और दक्षिण तट से हटा दिया गया. कमांडरों की बैठक 20 फरवरी को हुई, इसके तुरंत बाद ये कार्रवाई हुई, लेकिन अन्य पॉइंट्स से सैनिकों को वापस लेने पर कोई समझौता नहीं हुआ. इसके बाद 9 अप्रैल को एक और मीटिंग हुई, जो बेनतीजा रही.
पिछले कुछ दौर की बातचीत से उलट हाल की मीटिंग को लेकर दोनों पक्षों ने संयुक्त बयान भी नहीं दिया, जो भविष्य में किसी कार्रवाई के बारे में समझ की कमी का संकेत देता है.
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भारतीय सेना ने 10 अप्रैल को अपने बयान में कहा कि दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार बकाया मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने की जरूरत पर सहमत हुए. सेना ने इस पर प्रकाश डाला कि अन्य क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट के पूरा होने से दोनों पक्षों के लिए शांति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित होगी. साथ ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सक्षम करने का रास्ता साफ होगा.