कौन हैं इजरायल के नए पीएम Naftali Bennett, जो स्पेशल कमांडो भी रह चुके हैं? all about naftali bennett who replaced netanyahus as israel new prime minister

इजरायल में आखिरकार बेंजामिन नेतन्याहू दशक का अंत हो गया. कभी इजरायल के राजा कहलाते नेतन्याहू को हटाते हुए नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) ने रविवार को इजराल के प्रधानमंत्री (Israel PM) पद की शपथ ली. किसी समय पर स्पेशल फोर्स के कमांडो रहे बेनेट हर तरह से ताकतवर और राजनीति से लेकर बिजनेस तक में खुद को साबित करते रहे.
गठबंधन में मिला बहुमत
इजराइल की 120 सदस्यीय संसद ‘नेसेट’ में 60 सदस्यों ने दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के 49 वर्षीय नेता बेनेट के पक्ष में और 59 सदस्यों ने विरोध में वोट किया. इसके साथ ही वे इजरायल जैसे सैन्य तौर पर मजबूत देश के प्रमुख बन चुके हैं. अब दुनिया ये जानना चाहती है कि आखिर ये नया नेता कौन और कैसा है और इससे इजरायल-फिलीस्तीन मुद्दे में क्या नया होगा.
नया नेता काफी युवा और ऊर्जावानअमेरिकन अप्रवासी शख्स की संतान बेनेट 71 वर्षीय नेतन्याहू की तुलना में काफी युवा और ऊर्जावान हैं. बेनेट का जन्म इजरायल के ही हायफा शहर में हुआ था और वे धार्मिक तौर पर यहूदी हैं. तेलअवीव में रहने वाले ये शख्स मौजूदा पीएम के साथ रहते हुए सरकार में वित्त-मंत्रालय और शिक्षा जैसे अहम विभाग देख चुके हैं. साथ वे इजराइली सेना में कमांडो रह चुके हैं.

निजी जिंदगी में नफ्ताली बेनेट पूरी तरह से यहूदी मान्यता रखते हैं
मिला अलग-अलग देशों का गुण
बेनेट के पेरेंट्स अमेरिका में जन्मे थे लेकिन बेनेट का जन्म इजरायल के धार्मिक तौर पर कट्टर शहर हायफा में हुआ. इसके बाद उनके पेरेंट्स अपने काम के सिलसिले में कभी इजरायल तो कभी उत्तरी अमेरिका की यात्रा करते रहे. इससे बेनेट के व्यक्तित्व में कई अलग गुण आए. न केवल विदेशी भाषा अंग्रेजी पर उनकी पकड़ बनी, बल्कि वे मॉडर्न के साथ धार्मिक भी बन गए.
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किप्पा पहनने वाले पहले पीएम
यही कारण है कि निजी जिंदगी में बेनेट पूरी तरह से यहूदी मान्यता रखते हैं. वे अपने सिर पर एक तरह की धार्मिक टोपी पहनते हैं, जो कट्टर यहूदी सोच वाले लोग पहनते हैं. इस टोपी की किप्पा (kippa) कहते हैं, जो सिर में पीछे की ओर का हिस्सा कवर करती है. बेनेट इस देश के पहले ऐसे पीएम होंगे, जो किप्पा पहनते हैं. यानी बेनेट अपनी धार्मिक सोच को राजनीति में आकर छिपाएंगे, ऐसा नहीं सोचा जा सकता.
बेनेट का इतिहास काफी विवादास्पद
साल 1996 में उन्होंने हिजबुल्लाह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लीड किया. बाद में इजरायली प्रेस Yedioth Ahronoth ने उनपर आरोप लगाया कि कार्रवाई में 106 लेबनानी नागरिक भी मारे गए थे. मारे गए लोगों में यूएन के भी 4 शख्स थे.

हो सकता है कि बेनेट के सत्ता में आने के बाद हमास के आतंकियों की मुश्किल कम होने की बजाए बढ़ ही जाएं (Photo- news18 English via Reuters)
तकनीक से आए राजनीति में
सेना छोड़ने के बाद बेनेट एकदम से तकनीक में कूद गए. उन्होंने तेल अवीव में एक टेक कंपनी शुरू की, जिसे कुछ ही समय बाद 145 मिलियन डॉलर में बेच दिया. कंपनी की बिक्री के बाद बेनेट राजनीति में आ गए. तब नेतन्याहू विपक्षी पार्टी में थे, बेनेट उन्हीं से जा मिले और कामकाज करने लगे. पांच सालों बाद बेनेट ने नेतन्याहू को भी छोड़ दिया और येशा काउंसिल चलाने लगे जो वेस्ट बैंक में यहूदियों के हित में काम करती थी.
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अरब मुल्कों से घिरे एकमात्र यहूदी देश इजरायल को हमेशा आक्रामक तरीके रखने पड़े ताकि वो अपना अस्तित्व बनाए रख सके. समय-समय पर वहां किसी न किसी आतंकी गतिविधि की खबर आती है, जो पड़ोसी मुल्कों द्वारा संचालित होती है. ऐसे में नए पीएम का क्या रुख होगा, इसे लेकर भी थोड़ा समझते हैं.

अरब मुल्कों से घिरे एकमात्र यहूदी देश इजरायल को हमेशा आक्रामक तरीके रखने पड़े – सांकेतिक फोटो (pixabay)
नफ्ताली बेनेट को हार्डलाइनर राष्ट्रवादी नेता माना जाता है
इससे ये भी हो सकता है कि बेनेट के सत्ता में आने के बाद हमास के आतंकियों की मुश्किल कम होने की बजाए बढ़ ही जाए. वे हमेशा ही इजरायल को आगे ले जाने की बात करते हैं और कई बार ये इशारा दे चुके हैं कि फिलिस्तानी स्टेट का बनने इजरायल के लिए कितना खतरनाक हो सकता है. यहां तक कि वे कई मौकों पर ये भी कह चुके हैं कि फिलीस्तीन कभी था ही नहीं.
गठबंधन का अरब देशों के लिए नर्म रवैया
बेनेट भले ही फिलीस्तीन के होने से इनकार करें और उसे लेकर आक्रामक हों लेकिन इसमें अब एक नया एंगल आ चुका है. दरअसल वे गठबंधन सरकार से हैं, जिसमें अलग विचारधारा के दल हैं. दूसरे दल को अरब देशों का सहयोग मिला हुआ है और वे उनकी ओर नरम रुख रखते हैं. ऐसे में ये भी हो सकता है कि सत्ता में बने रहने के लिए बेनेट को फिलीस्तीन को लेकर अपना रवैया बदलना पड़े.