केंद्र ने राज्यों से कहा -ब्लैक फंगस के इलाज में युवा मरीजों को दी जाए प्राथमिकता

नई दिल्ली. केंद्र सरकार (Central Government) ने राज्यों सरकारों (States) से कहा है कि ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज में ‘कम उम्र मरीजों’ को विशेष प्राथमिकता दी जाए. न्यूज़18 के पास इस दिशानिर्देश की एक कॉपी मौजूद है. नेशनल कोविड टास्क फोर्स द्वारा भेजे गए दिशानिर्देश में इस बाबत ताकीद की गई है.
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने एक जून को केंद्र से कहा था कि ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरिसिन बी (AMB) प्राथमकिता के आधार पर युवाओं को दी जानी चाहिए. तब इस दवा की कमी देखी जा रही थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि देश को अपना भविष्य बचाना है. उम्रदराज लोगों ने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा जी लिया है. और एंफोटेरिसिन बी दवा जरूरत से तिहाई कम मात्रा में ही मौजूद है, इसलिए ये सभी को नहीं दी जा सकती.
नेशनल कोविड टास्क फोर्स ने भेजे दिशानिर्देश
ये दिशानिर्देश 3 जून को नेशनल कोविड टास्क फोर्स की तरफ से भेजे गए. इस निर्देश में कहा गया है कि युवा मरीजों के बाद उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिनका सर्जिकल इलाज संभव नहीं है या फिर अधूरा है. एडवायजरी में ब्लैक फंगस को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय माना गया है.ब्लैक फंगस के 29 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके
देश में अब तक ब्लैक फंगस के 29 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से ज्यादातर कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों में मिले हैं. एडवायजरी में कहा गया है कि एंफोटेरिसिन B दवा के दो प्रकार हैं- लिपोसोमल एंफोटेरिसिन (Liposomal Amphotericin) और डोएक्सीशोलेट एंफोटेरिसिन (Doexycholate Amphotericin). दोनों ही दवाएं एक समान कारगर हैं लेकिन डोएक्सीशोलेट एंफोटेरिसिन में किडनी के लिए खतरा हो सकता है अगर इसे सलाइन के जरिए शरीर में धीमा प्रवेश न किया जाए.
एडवायजरी ये भी कहती है कि लिपोसोमल एंफोटेरिसिन ब्लैक फंगस के उन मामलों में इस्तेमाल की जा सकती है जब बीमारी का असर ब्रेन पर हो रहा हो या फिर उन मरीजों में जो डोएक्सीशोलेट एंफोटेरिसिन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं. यह भी साफ किया गया है-कोविड हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद घर में कम से कम एक महीने तक साफ-सुथरे मास्क का इस्तेमाल जरूरी है. कोरोना संबंधी नियमों का पालन, स्टेरॉयड का उचित इस्तेमाल. और डायबिटीज पर नियंत्रण कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस के रिस्क को कम कर सकता है.
रिकवर होने के बाद क्या किया जाए, बताया गया
दिशानिर्देश में यह भी कहा गया है कि कोरोना मरीजों को ब्लैक फंगस से जुड़े लक्षणों के बारे में जानकारी देनी चाहिए. कोरोना से रिकवर होने के बाद हेल्थ चेक अप में नेत्र विशेषज्ञ, ENT स्पेशलिस्ट, न्यूरो सर्जन और डेंटिस्ट को भी शामिल किया जा सकता है.
क्या नहीं करना है
दिशानिर्देश में यह भी बताया गया है कि क्या नहीं करना है. जैसे सिर्फ AMB का डोज बढ़ाने के बजाए फुल डोज के साथ इलाज करना चाहिए. एंटीफंगल थेरेपी का कॉम्बिनेशन नहीं इस्तेमाल करना चाहिए और वोरिकोनाजोल, echinocandins and 5 flurocytosine जैसे दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि ये कोरोना से जुड़े ब्लैक फंगस के मामलों में कारगर नहीं हैं.