विदेश से ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं खरीदने देने का झारखंड का आरोप, HC ने केंद्र से मांगा जवाब


राज्य सरकार दूसरे देशों से आक्सीजन सिलिंडर की खरीदारी करना चाहती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने 28 मई को एक दिशानिर्देश जारी किया और आक्सीजन सिलिंडर की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया (सांकेतिक तस्वीर)
राज्य सरकार ने अदालत में कहा कि अगर केंद्र सरकार से सिलिंडर की खरीद की अनुमति मिलती है तो कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से निपटने में आसानी होगी. इस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर ऐसी नीति क्यों बनाई गई है.
रांची. झारखंड सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) में शपथ पत्र के माध्यम से आरोप लगाया है कि उसे कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों के तहत संयुक्त अरब अमीरात से ऑक्सीजन सिलिंडर खरीदना है लेकिन केन्द्र सरकार इसकी अनुमति नहीं दे रही है. इस पर उच्च न्यायालय ने केन्द्र से इस मामले में जवाब मांगा है.
झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति एस एन प्रसाद की खंडपीठ के सामने कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों के मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को शपथ पत्र दाखिल किया गया. इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार आक्सीजन सिलेंडर खरीदारी की अनुमति नहीं दे रही है.
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उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की इस शिकायत पर केंद्र सरकार से हलफनामा के माध्यम से जवाब मांगा है. न्यायालय ने पूछा है कि आखिर आक्सीजन सिलिंडर की खरीद पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है? इस मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होगी.राज्य सरकार ने कहा तीसरी लहर की कर रहे तैयारी
कोरोना वायरस के मामलों पर जनहित याचिका पर चल रही सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि वह कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कर रही है. उसका कहना था कि यहां पर आक्सीजन की कमी नहीं है लेकिन सिलिंडर की कमी है. इसको देखते हुए राज्य सरकार दूसरे देशों से आक्सीजन सिलिंडर की खरीदारी करना चाहती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने 28 मई को एक दिशानिर्देश जारी किया और आक्सीजन सिलिंडर की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया.
राज्य सरकार ने अदालत में कहा कि अगर केंद्र सरकार से सिलिंडर की खरीद की अनुमति मिलती है तो कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से निपटने में आसानी होगी. इस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर ऐसी नीति क्यों बनाई गई है.
केन्द्र सरकार को 17 जून तक न्यायालय में अपना जवाब दाखिल करना है और उसी दिन इस मामले में आगे की सुनवाई निर्धारित है.
(Disclaimer: यह खबर सीधे सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है. इसे News18Hindi टीम ने संपादित नहीं किया है.)