देश में टीकाकरण की रणनीति पर फिर से विचार कर रहा केंद्र, सिंगल डोज पर सरकार करेगी स्टडी


देश में वैक्सिनेशन में तेजी लाने की जरूरत है. (सांकेतिक तस्वीर)
भारत में टीकाकरण के दौरान 90 फीसदी लोगों को कोवीशील्ड वैक्सीन की खुराक दी गई है. भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन इस्तेमाल भी किया जा रहा है. वहीं रूस का स्पूतनिक वी अभी कुछ लोगों को ही लगाया गया है.
नई दिल्ली. देश में कोरोना (Coronavirus In India) की दूसरी लहर के बीच सरकार प्रस्तावित कोविड वैक्सीन ट्रैकर प्लेटफॉर्म (Covid Vaccine Tracker) से डेटा इकट्ठा करने के बाद कोविशील्ड (Covishield) खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाने के अपने फैसले के समीक्षा कर सकती है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डेटा सरकार को यह तय करने में भी मदद कर सकता है कि कोविशील्ड के लिए सिंगल डोज के नियम को मंजूरी दी जाए या नहीं. सूत्रों ने कहा कि नए प्लेटफॉर्म के डेटा का अगस्त के करीब एनालिसिस किया जा सकता है.
भारत में 16 जनवरी को शुरू हुए टीकाकरण के बाद लोगों को दिए गए कुल डोज में करीब 90 फीसदी लोगों को कोवीशील्ड वैक्सीन की खुराक दी गई है. भारत में भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन इस्तेमाल भी किया जा रहा है. वहीं रूस का स्पूतनिक वी अभी कुछ लोगों को ही लगाया गया है.
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के तहत कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा ने कहा ‘एक प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है जहां क्लिनिकल डेटा, वैक्सीन डेटा और सभी रोगों के डेटा के संदर्भ में प्रशासनिक डेटा के तीन सेट बनेंगे. उसके आधार पर हम वैक्सीन का असर,लोगों में हुए दोबारा संक्रमण और ट्रेंड्स देखेंगे. इस बीच लोगों में वैक्सीन की कवरेज भी बढ़ेगी.’
सिंगल डोज असर करता है या नहीं?अरोड़ा के अनुसार, मार्च-अप्रैल में कोविड के टीकों के असर का अध्ययन करने की आवश्यकता पर चर्चा शुरू हुई. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार समीक्षा का एक अन्य उद्देश्य यह भी समझना है कि क्या सिंगल डोज असर करता है या नहीं. एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- ‘एक तर्क दिया जा रहा है कि अन्य वायरल वेक्टर टीकों में सिंगल वैक्सीन डोज होते हैं और यह कोविशील्ड के लिए भी काम कर सकता है. जो सिंगल डोज वैक्सीन के तौर पर शुरू हुआ था.’
जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन भी वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जबकि डबल डोज वाले स्पुतनिक वैक्सीन का भी अब सिंगल डोज ऑप्शन आ रहा है. बता दें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का भी विनिर्माण सिंगल डोज वैक्सीन के तौर पर हुआ था लेकिन एफिकेसी रिपोर्ट के आधार पर इसे डबल डोज किया गया. सिंगल डोज वैक्सीनेशन सरकार को टीकाकरण अभियान को तेज करने में मदद करेगा.
वैक्सीन-ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म से कोविड मामलों और टीकाकरण को ट्रैक करने के लिए केंद्र द्वारा विकसित मौजूदा प्लेटफार्मों का उपयोग करके काम करने की उम्मीद है. इसमें आरटी-पीसीआर और आरोग्य सेतु ऐप और CoWIN प्लेटफॉर्म है.
हालांकि इस प्लेटफॉर्म को लॉन्च करने की तारीख की घोषणा अभी तक नहीं की गई है, लेकिन अरोड़ा के मुताबिक, यह ‘बहुत जल्द’ तैयार होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा ‘हम देश भर से एकत्र किए गए डेटा का बेहतर उपयोग करने की स्थिति में हैं और देखें कि वैक्सीन और पॉलिसी के मुद्दे पर इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है.’