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Chhattisgarh News: 10 द‍िन की इस मासूम की मां कोरोना मरीजों की देखभाल करते-करते चल बसी, गर्भवती होने के बाद भी न‍िभा रही थी नर्स का फर्ज

स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ नर्स थीं प्रभा बंजारे, जो कोरोना काल में गर्भवती होते हुए भी ड्यूटी कर रहीं थी. कोरोना से हुई मौत

स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ नर्स थीं प्रभा बंजारे, जो कोरोना काल में गर्भवती होते हुए भी ड्यूटी कर रहीं थी. कोरोना से हुई मौत

Kawardha News: प्रभा बंजारे कवर्धा के ग्राम लीमो की रहने वाली थी. उनकी ड्यूटी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खैरवार लोरमी, जिला मुंगेली में लगी थी. वे लगातार कोरोना काल में कोविड मरीजों की सेवा कार्य में जुटी थी. खुद गर्भवती होने के बाद भी ड्यूटी से छुट्टी न लेकर सेवा करती रही.

छत्‍तीसगढ़ के कवर्धा में कोरोना के दौरान कई जिंदगी असमय ही अपनों से बिछड़ गई, जिनकी भरपाई कर पाना संभव नहीं है. जिन्होंने अपनो को खोया वो इसका दर्द समझ सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने दूसरों की सेवा करते हुए खुद दुनिया से से चले गए. ऐसी ही स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ नर्स थीं प्रभा बंजारे, जो कोरोना काल में गर्भवती होते हुए भी ड्यूटी कर रहीं थी. इसके बाद वह खुद संक्रमित हो गई और इलाज के दौरान उनकी दुखद मृत्यु हो गई है. ऐसे कोरोना योद्धाओं के जज्बे को सलाम है. प्रभा बंजारे कवर्धा के ग्राम लीमो की रहने वाली थी. उनकी ड्यूटी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खैरवार लोरमी, जिला मुंगेली में लगी थी. वे लगातार कोरोना काल में कोविड मरीजों की सेवा कार्य में जुटी थी. खुद गर्भवती होने के बाद भी ड्यूटी से छुट्टी न लेकर सेवा करती रही. कवर्धा के एक निजी अस्पताल में उनकी डिलीवरी हुई. एक खुबसूरत बच्ची को जन्म दिया. जब उनकी कोरोना टेस्ट कराया गया तो मां-बेटी दोनों कोरोना संक्रमित पाई गई. इसके बाद प्रभा का दूसरे अस्पताल में इलाज शुरू किया गया. प्रभा की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उसे रायपुर के बड़े अस्पताल में रेफर किया गया. जहां दस दिनों के उपचार के बाद वो कोरोना से जिंदगी की जंग हार गई. उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. दूसरों को जीवन देने वाली प्रभा खुद को जीवनदान नहीं दे पाई. सैकड़ों लोगों की सेवा करते-करते वो खुद इस निर्मोही कोरोना की कब शिकार हो गई पता ही नहीं चला. उसकी मासूम बेटी को अपनी मां का इंतजार है और वो ऐसा इंतजार है, जो कभी खत्म नहीं होने वाला है. प्रभा भले ही दूसरे जिले के स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवा दे रही थी, लेकिन वो कवर्धा की बेटी थी. जिसने अपनी चिंता किए बगैर दूसरों की सेवा करना ज्यादा जरूरी समझी. उसने अपने फर्ज के आगे अपनी कोख में पलने वाले मासूम बच्ची की भी परवाह न करते हुए । लोगों की सेवा करने को तरजीह दी. पति भेषराज बंजारे शिक्षा विभाग में व्याख्याता के पद पर पदस्थ है. उसने शासन से अपनी नन्ही बेटी की चिंता जताई है. दिवंगत प्रभा बंजारे को कोरोना वारियर्स के रूप में उसकी बेटी के भविष्य के लिए पचास लाख रुपये बीमा राशि व बालिग होने पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की है.





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