राष्ट्रीय
हर साल 100 करोड़ कोवैक्सीन प्रोडक्शन की तैयारी में जुटी है भारत-बायोटक


बड़े स्तर पर कोवैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाए जाने की तैयारी चल रही है . (सांकेतिक तस्वीर: Shutterstock)
इस साल की आखिरी तिमाही तक भारत-बायोटेक (Bharat-Biotech) हर साल 100 करोड़ डोज के हिसाब से उत्पादन बढ़ाने पर काम कर रही है. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि गुजरात के अंकलेश्वर स्थित चिरोन बेहरिंग वैक्सीन प्राइवेट लिमिटेड में भी 20 करोड़ डोज बनाएगी. ये भारत बायोटेक के स्वामित्व वाली कंपनी है.
हैदराबाद. आईसीएमआर (ICMR) के साथ मिलक स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) बनाने वाली फार्मा कंपनी भारत-बायोटेक (Bharat-Biotech) अब प्रोडक्शन बढ़ाने में लगी है. इस साल की आखिरी तिमाही तक कंपनी हर साल 100 करोड़ डोज के हिसाब से उत्पादन बढ़ाने पर काम कर रही है. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि गुजरात के अंकलेश्वर स्थित चिरोन बेहरिंग वैक्सीन प्राइवेट लिमिटेड में भी 20 करोड़ डोज बनाएगी. ये भारत बायोटेक के स्वामित्व वाली कंपनी है. इसे 2019 में भारत बायोटेक ने खरीदा था और यहां पर वर्तमान में रेबीज के टीके बनाए जाते हैं. हालांकि इस प्लांट को कोवैक्सीन प्रोडक्शन के लिए तैयार करना पड़ेगा. भारत बायोटेक के विभिन्न प्लांट में अब तक कोवैक्सीन का हर साल के हिसाब से करीब 50 करोड़ प्रोडक्शन तक पहुंच चुका है. इसकी जानकारी कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर सुचित्रा एल्ला ने दी थी. केंद्र की तरफ से भी दी गई थी जानकारी इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से घोषणा की गई थी कि स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन का उत्पादन मई-जून महीने में दोगुना कर दिया जाएगा. प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ाया जा रहा है. सितंबर महीने तक हर महीने दस करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन होने लगेगा. केंद्रीय विज्ञान और तकनीक मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आत्मनिर्भर भारत मिशन 3.0 के तहत स्वदेशी वैक्सीन्स को बढ़ावा दिया जाएगा.तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजों में वैक्सीन 81% तक प्रभावी पाई गई थी कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे मार्च में सामने आए थे. तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजों में वैक्सीन 81% तक प्रभावी पाई गई. भारत बायोटेक ने देश के 25,800 लोगों पर ये ट्रायल किए गए थे. जो कि आईसीएमआर की भागीदारी में अब तक के सबसे बड़े ट्रायल्स थे. कोवैक्सीन के ट्रायल के मुताबिक ऐसे लोग जो कोविड-19 से संक्रमित नहीं हुए थे उनमें ये वैक्सीन 81 प्रतिशत तक प्रभावी पाई गई.