एक गलत अनुमान और चक्रवाती तूफान में फंस गए ओएनजीसी के जहाज


नौसेना का बचाव कार्य जारी है. (फाइल फोटो; ANI)
इस मामले की पूरी जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘‘तेल तलाशने और तेल की खुदाई में इस्तेमाल किये जाने वाले यंत्रों को कठिन मौसम की स्थिति में भी काम करने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है. मुंबई अपतटीय पर ये यंत्र 75 मीटर से 200 मीटर के बीच पानी की गहराई में खड़े हैं.’’
ये भी पढ़ेंः- चक्रवात ‘टाउते’ में देवदूत बने नौसेना के जवान, समुद्र में यूं किया बचाव, देखें तस्वीरें उसने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कामकाज रोकने या अस्थायी रूप से बंद करने में एक सप्ताह का समय लगता है. ऐसी स्थिति में जहाजों को खुदाई की जगह से हटाना होता है और कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना होता है. ताउते तूफ़ान के मामलें में यह सब कदम उठाने का समय नहीं था. तूफ़ान का मार्ग और उसका प्रभाव का आंकलन सही से नहीं हो सका जिसके कारण यह घटना घटी.’’
एक अन्य सूत्र ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जहाज तथा चालक दल की सुरक्षा के लिए कोई भी निर्णय लेने की सभी शक्तियां जहाज चालक यानी कप्तान के पास होती है. हम अभी तक नहीं जानते हैं कि जहाज चालक ने तूफान के दौरान जो किया वह क्यों किया. इस मामले में विस्तार से जानने के लिए एक जांच समिति का गठन पहले ही किया जा चुका है.’ पेट्रोलियम मंत्रालय ने बुधवार को जहाजों के फंसे होने के मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.