राष्ट्रीय
नारदा केस, टीएमसी के चार मंत्री हुए अरेस्ट, लेकिन दो साल बाद एक्शन में क्यों CBI?


गिरफ्तार हुए ममता के चारों मंत्रियों को देर शाम जमानत मिल गई. फाइल फोटो
CBI Arrests TMC Ministers after Governor’s Sanction: सीबीआई इस मामले में सुवेंदु अधिकारी सहित टीएमसी के चार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोकसभा स्पीकर की अनुमति का दो साल से इंतजार कर रही थी.
नई दिल्ली. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने सोमवार को फिरहद हकीम और सुब्रत मुखर्जी सहित ममता बनर्जी सरकार के चार मंत्रियों को गिरफ्तार किया. फिरहद हकीम और सुब्रत मुखर्जी मौजूदा बंगाल सरकार में भी मंत्री हैं. हालांकि चारों मंत्रियों को देर शाम जमानत मिल गई. बता दें कि ये गिरफ्तारी राज्यपाल द्वारा नारदा घोटाले में कार्रवाई की अनुमति देने के बाद हुई है. दिलचस्प बात ये है कि सीबीआई इस मामले में टीएमसी के चार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोकसभा स्पीकर की अनुमति का दो सालों से इंतजार कर रही थी. इन नेताओं में विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए सुवेन्दु अधिकारी भी शामिल हैं. केंद्रीय सतर्कता आयोग के दस्तावेजों के मुताबिक सीबीआई ने टीएमसी के लोकसभा सांसद सौगत रॉय, प्रसून बनर्जी, काकोली घोष दस्तीदार और सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई खातिर 6 अप्रैल 2019 को स्पीकर के समक्ष अनुमति के लिए आवेदन दिया था. इनमें से सुवेंदु अधिकारी को छोड़कर बाकी तीन नेता अभी भी ममता बनर्जी के साथ हैं, लेकिन सुवेंदु अधिकारी ने पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया है. 2016 तक सुवेंदु अधिकारी टीएमसी के सांसद थे. सीबीआई ने इस मामले में 2017 में एफआईआर संख्या 10ए के तहत मामला दर्ज किया था. केंद्रीय सतर्कता आयोग के नवंबर तक उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक सिर्फ इसी मामले में ही कार्रवाई के लिए लोकसभा स्पीकर ने अनुमति नहीं दी है. अधिकारी ने पिछले साल दिसंबर महीने में बीजेपी ज्वॉइन कर लिया था और नंदीग्राम सीट से ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव में करारी मात दी. आदर्श रूप से सक्षम प्राधिकारी द्वारा सांसद के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की अनुमति पर फैसला चार महीने के भीतर कर लिया जाता है. लेकिन पिछले साल नवंबर तक उपलब्ध डाटा के मुताबिक नारदा केस सहित 102 मामले ऐसे हैं जिनमें विभिन्न प्राधिकारियों और मंत्रालयों द्वारा अभियोजन स्वीकृति देने में चार महीने से ज्यादा देर हुई है. अभियोजन स्वीकृति में अतार्किक देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने भी प्राधिकारियों को आड़े हाथों लिया था. सीबीआई की ओर से जारी बयान के मुताबिक “पांच आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद सोमवार को मामले में चार्जशीट सबमिट की गई है. मामले में आगे जांच जारी रहनी चाहिए.” जांच एजेंसी ने जिन पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट सबमिट की है, उनमें फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, शोवन चटर्जी और आईपीएस ऑफिसर एसएमएच मिर्जा शामिल हैं. 7 मई को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पांचों नेताओं के खिलाफ सीबीआई को अभियोजन स्वीकृति दी थी. राज्यपाल की दलील थी कि उनके पास ऐसा करने का अधिकार है, क्योंकि 2016 में चार आरोपी राज्य मंत्री परिषद में शामिल थे. इस बीच आईपीएस ऑफिसर के खिलाफ कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय ने अभियोजन स्वीकृति दी है.